




जनगणना की बातचीत के बीच आपको बताते हैं कि मुगलों के शासनकाल में भी सेंसस कराया गया था. उस वक्त हिंदू और मुस्लिम कितने थे.
भारत में इस वक्त जनगणना का मुद्दा गरमाया हुआ है. केंद्र सरकार ने यह ऐलान कर दिया है कि देश में जातिगत जनगणना कराई जाएगी. इसके बाद से यह चर्चा भी चल रही है कि जनगणना में जाति का कॉलम जुड़ेगा या फिर उपजाति या गोत्र के लिए भी कोई कॉलम होगा. जनगणना के दौरान धर्म के साथ-साथ जाति का कॉलम भी जोड़ दिया जाएगा और यह सभी के लिए होगा. हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी की जातियां इसमें लिखी जाएंगी. लेकिन क्या आपको मालूम है कि देश में आजादी से पहले यानि मुगलों के समय पर भी जनगणना हुई थी. आइए जानें कि आखिर किसने इसे कराया था.
मुगलकाल में किसने कराई जनगणना
खबरों की मानें तो मुगल बादशाह अकबर ने अपने समय पर जनगणना कराई थी. हालांकि उस वक्त जनगणना के लिए कोई खास प्रक्रिया निश्चित नहीं की गई थी. लेकिन फिर भी अकबर ने जनगणना से आंकड़े जुटाने का आदेश दिया था. उसने जनसंख्या का विस्तृत आंकड़ा जुटाया और इस डेटा को आईने-अकबरी में दर्ज किया गया था. मुगल काल में जनगणना प्रशासनिक कारणों से कराई जाती थी. उनका उद्देश्य टैक्स कलेक्शन और संसाधनों का आवंटन करना था. अकबर के शासन के दौरान आईने अकबरी में उद्योग, जनसंख्या और धन से संबंधित कई मुद्दों का संकलन हुआ करता था और उसमें व्यापक डाटा था.
उस वक्त कितने हिंदू और मुस्लिम थे
मुगलकाल में हिंदुओं और मुस्लिमों की बात करें तो उस दौरान मुसलमानों की तुलना में हिंदुओं की संख्या बहुत ज्यादा थी. 15वीं शताब्दी में जब मुगल साम्राज्य की स्थापना हुई, उस वक्त हिंदुओं की जनसंख्या का अनुपात 80% से ज्यादा हुआ करता था. जबकि उस दौर में मुसलमान 20% से भी कम थे. मुगलों के दबाव में आकर कुछ लोगों ने इस्लाम धर्म अपनाया, लेकिन फिर भी हिंदू बहुतायत में रहे और हिंदू धर्म ही सबसे बड़ा बना रहा.
बाद में बढ़ी मुगलों की संख्या
15वीं शताब्दी के करीब मुगल साम्राज्य में हिंदुओं की संख्या 20 से 25 फीसदी के करीब हुआ करती थी. लेकिन इस दौरान मुसलमानों की संख्या में बढ़ोतरी हुई थी. यह 18वीं शताब्दी तक 25 फीसदी के करीब पहुंच गई थी. उस दौरान कुछ शासकों ने हिंदुओं के प्रति सम्मान जताया तो कुछ ने भेदभाव किया.