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    भारत-पाक सीमा पर भारी तनाव के बीच आयी ये खुशखबरी, सीधा आपकी थाली से है कनेक्शन।

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    क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने रिपोर्ट में आग बताया कि औसत खर्च में इजाफा हुआ है, जैसे खाने के तेल की कीमतों में सीमा शुल्क बढ़ने की वजह से 19 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

    भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे सीमा पर तनाव के बीच घरेलू मोर्चे पर ये राहत देने वाली खबर है. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि घर की बनी शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही थाली अप्रैल के महीने में सस्ती हो गई. ऐसे प्याज और आलू की कीमत में आयी कमी की वजह हो पाया है. रिपोर्ट में बताया गाय है कि पिछले साल से अगर अप्रैल के महीने की तुलना करें तो थाली की कीमत में करीब 5 फीसदी की गिरावट आयी है. क्रिसिल की रोटी राइस रेट रिपोर्ट के मुताबिक, खाने की थाली की कीमतों में यह गिरावट अनिवार्य वस्तुएं जैसे एलपीजी और खाने के तेल के दाम में इजाफा होने के बावजूद आयी है.

    सस्ती हुई वेज-नॉनवेज थाली
    क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने रिपोर्ट में बताया कि औसत खर्च में इजाफा हुआ है, जैसे खाने के तेल की कीमतों में सीमा शुल्क बढ़ने की वजह से 19 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि एलपीजी सिलिंडर की कीमत में भी 6 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. क्रिसिल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर (रिसर्च) पुशन शर्मा का कहना है, आने वाले 2-3 महीने में खाने की कीमतों में भी गिरावट आ सकती है. इसकी वजह है वैश्विक आपूर्ति जैसे अर्जेंटीना, इंडोनेशिया और मलेशिया से इसकी आपूर्ति बढ़ सकती है.

    चावल का आयात बढ़ने के साथ ही इसके दाम भी बढ़ने के आसार हैं. साथ ही, अन्य सब्जियां, प्याज और टमाटर के दाम भी मौसम के हिसाब से बढ़ सकते हैं. इस समय टमाटर के दाम सालाना आधार पर करीब 34 प्रतिशत गिरकर 21 रुपये प्रति किलो के दर से मिल रहा है, जो 2024 के अप्रैल में 32 रुपये किलो मिलता था. इसी तरह पिछले साल की तुलना में आलू की कीमत में करीब 11 प्रतिशत की गिरावट आयी है. पिछले साल पश्चिम बंगाल में बेमौसम बारिश की वजह से नुकसान हुआ था. प्याज के दाम में भी इसी तरह 6 प्रतिशत की गिरावट आयी है.

    सस्ता हुआ आलू-प्याज
    मांसाहारी थाली की कीमत में गिरावट की बड़ी वजह है ब्रायलर चिकन का सस्ता होना. इसके दाम में पिछले साल के मुकाबले करीब 4 फीसदी की गिरावट देखी जा रही है. चिकन के दाम में कमी की वजह है इसकी मांग से ज्यादा आपूर्ति का होना. इसके अलावा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में बर्डफ्लू के मामले आने से भी इसकी मांग में कमी आयी है. एक महीने के आधार पर तुलना करें तो शाकाहारी थाली की कीमत अप्रैल के महीने में एक फीसदी गिरी है जबकि मांसाहारी थाली 2 प्रतिशत सस्ती हो गई है.

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