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    महज 11 महीनों में सरकार ने बचाए 53137 करोड़… ‘काले हीरे’ का प्रोडक्शन बढ़ा तो आयात हो गई बड़ी सेविंग्स।

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    भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को सहारा देने में कोयले की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि बिजली, स्टील और सीमेंट जैसे कई बड़े सेक्टर्स का यह प्राइमरी एनर्जी सोर्स है.

    थर्मल पावर प्लांट हो या स्टील इंडस्ट्री, भारत के एनर्जी सेक्टर में कोयले की बड़ी डिमांड है. वैसे तो भारत में कोयले की कोई कमी नहीं है. दुनिया के जिन पांच देशों में कोयले का सबसे बड़ा भंडार है उनमें अमेरिका, रूस, ऑट्रेलिया और चीन के साथ भारत भी शामिल हैं. लेकिन बावजूद इसके भारत को कोयला दूसरे देशों से मंगाने की जरूरत पड़ी है क्योंकि देश में कोकिंग कोयले की तरह बेहतर क्वॉलिटी के कोयले की कमी है. इसके अलावा, कई बार बढ़ती घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भी कोयले को आयात कराने की जरूरत पड़ती है. इसमें हर साल अरबों डॉलर खर्च हो जाते हैं.

    11 महीनों में इतनी हुई सरकार की बचत
    हालांकि, सरकार ने मंगलवार को देश में कोयले के उत्पादन में वृद्धि होने की जानकारी दी. इसके चलते अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के दौरान देश में कोयले का आयात 9.2 परसेंट घटकर 220.3 मिलियन टन (एमटी) रह गया. जबकि पिछले साल इसी दौरान 242.6 मीट्रिक टन कोयले का आयात कराना पड़ा था. कोयला मंत्रालय ने कहा कि पिछले 11 महीनों में कोयले के आयात में इसी कमी के चलते देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 6.93 बिलियन डॉलर (53137.82 करोड़ रुपये) की बचत हुई है.

    बिजली का उत्पादन भी बढ़ा
    अच्छी बात यह है कि सिर्फ पावर सेक्टर को छोड़कर बाकी सभी गैर-विनियमित क्षेत्र में कोयले के आयात में कमी आई है. इन क्षेत्रों में कोयले का आयात 15.3 परसेंट कम हुआ है. हालांकि, अच्छी बात यह भी है कि कोयले के इस्तेमाल से बिजली उत्पादन अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 तक पिछले साल के मुकाबले 2.87 परसेंट बढ़ा है. लेकिन थर्मल पावर प्लांट द्वारा ब्लेंडिंग के लिए कोयले के आयात में 38.8 परसेंट की कमी आई है.

    कोल प्रोडक्शन में आत्मनिर्भर बन रहा भारत
    भारत कोयले के आयात पर अपनी निर्भरता को कम करने और कोल प्रोडक्शन में आत्मनिर्भर बनने की कोशिशों में जुटा हुआ है. सरकार ने इसके लिए कमर्शियल कोल माइनिंग और मिशन कोकिंग कोल जैसे कई पहलों की भी शुरुआत की है.

    नतीजतन, अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच कोयला उत्पादन 5.45 बढ़ा है. भारत का कोयला क्षेत्र इसकी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को सहारा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसमें कोयला बिजली, इस्पात और सीमेंट जैसे कई बड़े सेक्टर्स में उर्जा के प्राइमरी सोर्स के रूप में काम करता है.

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