




एक समय 10वीं और 12वीं में असफल हुईं अंजू शर्मा आज गुजरात की वरिष्ठ IAS अधिकारी हैं। जानिए उनकी संघर्षों से भरी और प्रेरणादायक यात्रा।
UPSC success story: भारत में UPSC की परीक्षा को सबसे कठिन परीक्षाओं में गिना जाता है, और यही कारण है कि अधिकतर लोग मानते हैं कि केवल मेधावी छात्र ही इसमें सफल हो सकते हैं। लेकिन IAS अंजू शर्मा की कहानी इस धारणा को पूरी तरह से तोड़ देती है। एक समय 10वीं और 12वीं की परीक्षा में फेल होने वाली अंजू शर्मा ने अपनी हार को सफलता की सीढ़ी बनाया और आखिरकार बन गईं एक ईमानदार और प्रेरक IAS अफसर।
जब 10वीं और 12वीं में आई असफलता
राजस्थान के भरतपुर की रहने वाली अंजू शर्मा की शुरुआत साधारण रही। स्कूल के दिनों में वे पढ़ाई में औसत थीं और 10वीं के प्री-बोर्ड में फेल हो गईं। इसके बाद 12वीं में इकोनॉमिक्स विषय में असफल रहीं। समाज और परिवार की उम्मीदें टूट चुकी थीं, लेकिन अंजू ने खुद को नहीं छोड़ा।
ग्रेजुएशन में बदली पहचान
इन शुरुआती झटकों के बावजूद अंजू ने बीएससी (साइंस) में प्रवेश लिया और मेहनत करके गोल्ड मेडल हासिल किया। इसके बाद उन्होंने MBA किया और जीवन को एक नया लक्ष्य दिया — IAS अधिकारी बनने का।
पहले ही प्रयास में UPSC क्लियर
साल 1991 में, मात्र 22 वर्ष की उम्र में, अंजू शर्मा ने पहले प्रयास में ही UPSC क्लियर कर लिया। उन्होंने यह दिखाया कि असफलता सिर्फ एक अध्याय होती है, पूरी किताब नहीं।
बनीं गुजरात कैडर की अधिकारी
UPSC क्लियर करने के बाद अंजू शर्मा को गुजरात कैडर मिला। उनकी पहली पोस्टिंग राजकोट में सहायक कलेक्टर के रूप में हुई। बाद में उन्होंने गांधीनगर, अहमदाबाद, वडोदरा समेत कई जिलों में कलेक्टर, सचिव और प्रमुख सचिव जैसे जिम्मेदार पदों पर कार्य किया।
आज वे अतिरिक्त मुख्य सचिव (Additional Chief Secretary) के रूप में कार्यरत हैं और अपने ईमानदार प्रशासन और संवेदनशील फैसलों के लिए जानी जाती हैं।
प्रेरणा हर उस युवा के लिए
IAS अंजू शर्मा की कहानी हर उस छात्र और युवा के लिए प्रेरणा है जो जीवन में कभी असफल हुआ है। उन्होंने साबित किया कि असफलता अंतिम नहीं होती, यदि जिद और मेहनत सच्ची हो तो हर सपना पूरा हो सकता है।
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