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    चीन को मिलेगा करारा जवाब! अब भारत में बनेंगे ‘रेयर अर्थ मैग्नेट’, मोदी सरकार खर्च करेगी 1000 करोड़ रुपये।

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    ऑटोमोबाइल और रिन्युएबल एनर्जी के लिए जरूरी रेयर अर्थ मैग्नेट अब देश में होंगे तैयार, भारी उद्योग मंत्रालय और परमाणु विभाग मिलकर चलाएंगे मेगा योजना।

    भारत ने चीन पर निर्भरता खत्म करने के लिए बढ़ाया कदम
    India is an Magnets of Rayer Earth: भारत सरकार जल्द ही देश में ही रेयर अर्थ मैग्नेट्स (Rare Earth Magnets) के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 1000 करोड़ रुपये की विशेष योजना शुरू करने जा रही है। यह पहल भारी उद्योग मंत्रालय और परमाणु ऊर्जा विभाग मिलकर चला रहे हैं।

    रिपोर्ट के अनुसार, यह योजना अगले 10 से 15 दिनों में अंतिम रूप ले सकती है। इसके तहत हर साल देश में लगभग 1500 टन रेयर अर्थ मैग्नेट्स का उत्पादन किया जाएगा।

    रेयर अर्थ मैग्नेट्स क्यों हैं जरूरी?
    १. ये मैग्नेट्स इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), पवन ऊर्जा टर्बाइनों, मोबाइल फोन और रक्षा उपकरणों में उपयोग होते हैं।

    २. वर्तमान में चीन दुनिया के 90% से अधिक रेयर अर्थ मैग्नेट्स का उत्पादन करता है

    ३. हाल ही में चीन द्वारा निर्यात में कटौती से भारत सहित कई देशों की इंडस्ट्रीज़ प्रभावित हुई हैं

    ४. इसी के चलते भारत सरकार अब आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ा रही है

    कौन-कौन सी कंपनियाँ होंगी शामिल?
    सूत्रों के अनुसार, इस योजना में 5 से 6 प्रमुख कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है। सरकार कंपनियों को उत्पादन और टेक्नोलॉजी सपोर्ट देगी, ताकि भारत में तेजी से उत्पादन शुरू हो सके।

    India Rare Earth Limited को सौंपी जाएगी बड़ी जिम्मेदारी
    इस पूरे प्रोजेक्ट में India Rare Earths Ltd. (IREL) की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। कंपनी सालाना 500 टन तक कच्चा माल मैन्युफैक्चरर्स को सीधे सप्लाई करेगी, जिससे उद्योगों को निरंतरता और स्थायित्व मिलेगा।

    रेयर अर्थ मिनरल्स के लिए अलग स्कीम
    रेयर अर्थ मैग्नेट्स के अलावा सरकार अब अन्य रेयर अर्थ मिनरल्स के लिए भी एक नई प्रोडक्शन स्कीम पर काम कर रही है। इस पर संभावित 3500 से 5000 करोड़ रुपये तक का निवेश किया जाएगा। वर्तमान में इंटर्नल असेसमेंट चल रहा है और जल्द ही योजना का ऐलान हो सकता है।

    चीन पर निर्भरता होगी खत्म
    मोदी सरकार का यह कदम न केवल भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा, बल्कि चीन के दबदबे को भी चुनौती देगा। यह योजना आने वाले समय में भारत को रेयर अर्थ मटेरियल्स का वैश्विक निर्माता बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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