




नई दिल्ली: एनसीईआरटी की इतिहास की किताबों में एक बार फिर से मुगल शासकों की छवि को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है। कक्षा 8वीं की सोशल साइंस की नई किताबों में बाबर, अकबर और औरंगजेब जैसे प्रमुख मुग़ल सम्राटों के बारे में अब एक बिल्कुल नया नजरिया अपनाया गया है। ये बदलाव सिर्फ पाठ्य सामग्री नहीं, बल्कि इतिहास को देखने की दृष्टि को भी प्रभावित करते हैं।
भारत में इतिहास पढ़ाना केवल तथ्यों की बात नहीं रही, बल्कि यह भी महत्वपूर्ण रहा है कि इतिहास को किस दृष्टिकोण से पेश किया जाए। मुगलों को लेकर किताबों में समय-समय पर संशोधन होते रहे हैं। अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत इन बदलावों को और स्पष्ट रूप से लागू किया गया है।
मुगलों से जुड़ी किताबों में अब तक हुए मुख्य बदलाव:
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बाबर:
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पहले: मुगल साम्राज्य का संस्थापक, कुशल सेनापति।
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अब: क्रूर और निर्दयी शासक के रूप में वर्णन। भारत में सत्ता विस्तार को आक्रामक रूप में पेश किया गया है।
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अकबर:
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पहले: धार्मिक सहिष्णुता और उदार शासक की छवि।
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अब: क्रूरता और सहिष्णुता का “अजीब मिश्रण” बताया गया है।
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औरंगजेब:
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पहले: धार्मिक नीतियों पर सीमित जानकारी।
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अब: मंदिरों और गुरुद्वारों को नष्ट करने वाला शासक बताया गया है।
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धार्मिक-सामाजिक संदर्भ:
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मंदिरों और शिक्षा केंद्रों पर हुए हमलों का उल्लेख।
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गांवों की लूट और सैन्य अभियानों को विस्तार से लिखा गया है।
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नई शिक्षा नीति (NEP) और बदला हुआ दृष्टिकोण
NEP के तहत इतिहास को अधिक “वास्तविक और विविध” परिप्रेक्ष्य से पढ़ाने की बात कही गई है। इसी कारण अब इन बदलावों में शासकों के कृत्यों, सामाजिक प्रभाव और धार्मिक घटनाओं को भी प्रमुखता दी गई है।
इन बदलावों को लेकर शैक्षणिक जगत में बहस भी शुरू हो गई है। कुछ इसे जरूरी करेक्टिव मान रहे हैं, तो कुछ इसे इतिहास के राजनीतिकरण के रूप में देख रहे हैं।