




भारत में सोना केवल आभूषण या निवेश का साधन नहीं है, बल्कि यह परंपरा, सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। हर साल सोने की खरीद-बिक्री को लेकर सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) कुछ नीतियों और नियमों में बदलाव करते हैं ताकि निवेशकों को अधिक पारदर्शिता और सुरक्षा मिल सके। साल 2025 के लिए सोना खरीदने के नए नियम घोषित कर दिए गए हैं, जो सीधे तौर पर आम ग्राहकों और निवेशकों को प्रभावित करेंगे।
2025 में सोना खरीदने के प्रमुख नए नियम
PAN और Aadhaar की अनिवार्यता
2025 से सोना खरीदते समय 2 लाख रुपये से अधिक की राशि पर अब केवल PAN कार्ड ही नहीं बल्कि आधार कार्ड भी दिखाना अनिवार्य कर दिया गया है। इसका मकसद है नकली लेन-देन और मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगाना।
हॉलमार्किंग पूरी तरह अनिवार्य
पिछले कुछ सालों से हॉलमार्किंग को धीरे-धीरे अनिवार्य किया जा रहा था। अब 2025 से सभी ज्वेलर्स को केवल BIS हॉलमार्क वाला सोना ही बेचना होगा। बिना हॉलमार्क के सोना बेचने पर कड़ी सज़ा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा
सरकार ने सोना खरीदते समय डिजिटल पेमेंट को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है। 50,000 रुपये से अधिक के लेन-देन पर नकद भुगतान की अनुमति नहीं होगी। केवल कार्ड, UPI, बैंक ट्रांसफर जैसे माध्यम से ही भुगतान करना होगा।
ऑनलाइन गोल्ड ट्रेडिंग पर निगरानी
2025 में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सोने की खरीद-बिक्री पर SEBI और RBI की सीधी निगरानी रहेगी। इससे फर्जी वेबसाइट्स और धोखाधड़ी पर अंकुश लगेगा।
सोना ETF और डिजिटल गोल्ड पर नियम
निवेशकों के बीच डिजिटल गोल्ड और ETF की लोकप्रियता को देखते हुए, अब इन पर भी पारदर्शिता लाने के लिए नए नियम बनाए गए हैं। हर निवेशक को ऑनलाइन खरीद के बाद डिजिटल रसीद और सुरक्षित स्टोरेज की गारंटी दी जाएगी।
रिकॉर्ड मेंटेन करना अनिवार्य
ज्वेलर्स को हर ग्राहक के लेन-देन का डेटा कम से कम 10 साल तक सुरक्षित रखना होगा। ताकि भविष्य में किसी भी जांच की स्थिति में इसका उपयोग किया जा सके।
इन नियमों का आम ग्राहकों पर असर
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पारदर्शिता बढ़ेगी: ग्राहकों को अब केवल प्रमाणित और हॉलमार्क वाला सोना मिलेगा।
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धोखाधड़ी से सुरक्षा: नकली सोने और बिना बिल वाले सौदों में भारी कमी आएगी।
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नकद लेन-देन मुश्किल: ग्रामीण क्षेत्रों में जहां अभी भी कैश पर खरीदारी ज्यादा होती है, वहां लोगों को डिजिटल पेमेंट अपनाना होगा।
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ज्वेलर्स की जवाबदेही बढ़ेगी: अब हर ज्वेलर को तय मानकों का पालन करना होगा, वरना उनका लाइसेंस रद्द हो सकता है।
निवेशकों के लिए फायदे
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सुरक्षित निवेश – हॉलमार्क और डिजिटल रसीद के चलते सोना अब पहले से ज्यादा सुरक्षित निवेश साबित होगा।
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कानूनी सुरक्षा – अगर ग्राहक को धोखा दिया जाता है तो उनके पास कानूनी सबूत मौजूद होगा।
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बेहतर रिटर्न – डिजिटल गोल्ड और ETF पर निगरानी बढ़ने से निवेशकों को सही वैल्यू मिलेगी।
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पारदर्शी मार्केट – नकली और अवैध लेन-देन रुकने से गोल्ड मार्केट में स्थिरता आएगी।
नए नियमों के कारण छोटे और स्थानीय ज्वेलर्स पर दबाव बढ़ेगा। डिजिटल ट्रांजेक्शन की अनिवार्यता से ग्रामीण और कस्बाई बाजारों में असुविधा हो सकती है। सभी ज्वेलर्स को तकनीकी ढांचे और डिजिटल भुगतान प्रणाली अपनानी होगी।
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि इन नए नियमों से गोल्ड मार्केट और निवेशकों दोनों का फायदा होगा।
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RBI और SEBI का मानना है कि ये कदम भारतीय अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता लाएंगे।
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ज्वेलर्स एसोसिएशन का कहना है कि शुरू में मुश्किलें आएंगी लेकिन लंबी अवधि में ये नियम सभी के लिए फायदेमंद साबित होंगे।
सोना भारतीय समाज और निवेश की धुरी माना जाता है। सरकार के नए नियमों का मकसद है सोना खरीदने-बेचने की प्रक्रिया को सुरक्षित, पारदर्शी और आधुनिक बनाना।
2025 के ये नियम ग्राहकों को धोखाधड़ी से बचाएंगे, ज्वेलर्स की जवाबदेही तय करेंगे और डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देंगे। अगर आप सोना खरीदने की सोच रहे हैं, तो इन नए नियमों की जानकारी रखना आपके लिए बेहद ज़रूरी है।