




बॉलीवुड अभिनेता रणबीर कपूर एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। इस बार मामला उनकी हालिया फिल्म बैड्स ऑफ बॉलीवुड में दिखाए गए वेपिंग सीन (ई-सिगरेट/वेप का प्रयोग) से जुड़ा है। मानवाधिकार पैनल ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए मुंबई पुलिस को पत्र लिखा है और रणबीर कपूर तथा फिल्म निर्माताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
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मानवाधिकार पैनल का कहना है कि फिल्म में रणबीर कपूर को कई दृश्यों में खुलेआम वेपिंग करते दिखाया गया है।
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पैनल का तर्क है कि इस तरह के दृश्य युवाओं पर गलत असर डाल सकते हैं और नशे की आदतों को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
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शिकायत में कहा गया है कि यह दृश्य सिगरेट और तंबाकू उत्पादों के प्रचार पर बने COTPA एक्ट (Cigarettes and Other Tobacco Products Act, 2003) का उल्लंघन है।
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पैनल ने मुंबई पुलिस आयुक्त को लिखे पत्र में कहा कि—
“फिल्म का यह दृश्य समाज पर खासकर युवाओं पर हानिकारक प्रभाव डाल रहा है। ऐसे दृश्यों को बिना चेतावनी और सेंसर की अनुमति के दिखाना कानून का उल्लंघन है।” -
पैनल ने पुलिस से अनुरोध किया कि रणबीर कपूर, निर्देशक और निर्माताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच की जाए।
अभिनेता रणबीर कपूर की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
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हालांकि सूत्रों का कहना है कि फिल्म का यह दृश्य कहानी की मांग के हिसाब से रखा गया था।
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टीम का तर्क है कि फिल्म पहले ही सेंसर बोर्ड की मंजूरी के बाद रिलीज़ हुई है, इसलिए इसे लेकर नया मामला बनाना सही नहीं है।
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भारत सरकार ने 2019 में ई-सिगरेट और वेपिंग उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया था।
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इसके बावजूद कई फिल्मों और वेब सीरीज़ में परोक्ष रूप से धूम्रपान या वेपिंग के दृश्य दिखाए जाते रहे हैं।
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विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के सीन युवाओं को “कूल” दिखने के लिए नशे की आदत अपनाने की ओर धकेल सकते हैं।
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यह विवाद सेंसर बोर्ड की भूमिका पर भी सवाल खड़ा कर रहा है।
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आलोचकों का कहना है कि जब देश में वेपिंग प्रतिबंधित है, तो फिल्म में इसे दिखाने की अनुमति कैसे दी गई?
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मानवाधिकार पैनल ने इस पहलू पर भी रिपोर्ट मांगी है कि क्या सेंसर बोर्ड ने चेतावनी के साथ यह दृश्य पास किया था या इसे नजरअंदाज कर दिया गया।
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वकीलों का कहना है कि यदि यह साबित हो गया कि फिल्म ने COTPA एक्ट और वेपिंग प्रतिबंध का उल्लंघन किया है, तो रणबीर कपूर और फिल्म की टीम पर जुर्माना और सज़ा दोनों हो सकते हैं।
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हालांकि एक कानूनी विशेषज्ञ ने यह भी कहा—
“फिल्में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आती हैं। जब तक यह साबित न हो कि दृश्य का उद्देश्य वेपिंग को बढ़ावा देना था, तब तक मामला कमजोर हो सकता है।” -
सोशल मीडिया पर इस विवाद ने जोर पकड़ा है।
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कुछ लोग रणबीर कपूर का समर्थन कर रहे हैं और कह रहे हैं कि “किरदार को दिखाने के लिए यह एक सिनेमाई तत्व” है।
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जबकि विरोधी यूज़र्स का कहना है कि—
“बॉलीवुड सितारे युवाओं के रोल मॉडल होते हैं। उनकी फिल्मों में नशे का चित्रण समाज को गलत दिशा में ले जाता है।”
यह पहली बार नहीं है जब किसी बॉलीवुड फिल्म पर धूम्रपान या नशे के दृश्य को लेकर विवाद हुआ हो।
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शाहरुख खान, अजय देवगन और रणवीर सिंह की फिल्मों में भी धूम्रपान दृश्यों को लेकर केस दर्ज हो चुके हैं।
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कई बार कोर्ट ने फिल्मों में ऐसे दृश्यों पर चेतावनी दिखाने का आदेश दिया है।
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अब सबकी निगाहें मुंबई पुलिस की कार्रवाई पर हैं।
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अगर पुलिस प्राथमिक जांच में इसे कानून का उल्लंघन मानती है, तो रणबीर कपूर समेत फिल्म की पूरी टीम के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो सकती है।
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वहीं अगर यह साबित हो गया कि दृश्य केवल कहानी की जरूरत के तहत था और सेंसर बोर्ड की अनुमति से आया है, तो शिकायत खारिज भी की जा सकती है।