




नाशिक, महाराष्ट्र – नाशिक महानगरपालिका (Nashik Municipal Corporation) ने शहर में जल आपूर्ति व्यवस्था को दुरुस्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। हाल ही में किए गए सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि नाशिक शहर में लगभग 5,000 जल कनेक्शन ऐसे हैं जो पूरी तरह अवैध हैं। नगर निगम प्रशासन ने इन बेकायदा जल कनेक्शनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है।
नगर निगम के जल विभाग द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण के अनुसार, कई घरों, दुकानों और औद्योगिक इकाइयों में बिना अनुमति के पाइपलाइन जोड़ी गई है। इससे न केवल निगम को राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि आम जनता को जल वितरण में भी असमानता का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन ने इन सभी अवैध जोड़ियों को तोड़ने और जिम्मेदार लोगों पर जुर्माना लगाने की प्रक्रिया तेज कर दी है।
नाशिक महानगरपालिका के जल विभाग प्रमुख, अभियंता संजय पाटिल ने बताया कि यह सर्वेक्षण पिछले तीन महीनों में शहर के सभी छह मंडलों में किया गया था। उन्होंने कहा, “हमने पाया कि कई नागरिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बिना वैध कनेक्शन के जल का उपयोग कर रहे हैं। यह न केवल अवैध है बल्कि जल संरक्षण की दिशा में की जा रही सरकारी कोशिशों को भी कमजोर करता है।”
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद महानगरपालिका ने जल आपूर्ति व्यवस्था में सुधार लाने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स गठित की है। यह टीम अवैध कनेक्शनों की पहचान, तोड़फोड़ और रिकवरी की प्रक्रिया की निगरानी करेगी। इसके साथ ही जो नागरिक अपने कनेक्शन को नियमित करवाना चाहते हैं, उन्हें सीमित समय के भीतर आवेदन करने की सुविधा दी जाएगी।
प्रशासन ने यह भी साफ किया है कि जिन लोगों को नोटिस भेजा जाएगा, अगर वे निर्धारित समय सीमा के भीतर जवाब नहीं देते हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। नगर निगम की योजना है कि आगामी तीन महीनों में सभी अवैध जोड़ियों को हटाकर जल वितरण को व्यवस्थित किया जाए।
इस कदम का उद्देश्य शहर में जल की बर्बादी को रोकना और जल राजस्व में पारदर्शिता लाना है। नाशिक महानगरपालिका का कहना है कि जल विभाग को हर वर्ष करोड़ों रुपये का नुकसान अवैध कनेक्शनों और अनियमित बिल भुगतान के कारण होता है। इन अनियमितताओं को खत्म करने के बाद न केवल जल आपूर्ति बेहतर होगी, बल्कि शहर में जल वितरण की समानता भी सुनिश्चित की जा सकेगी।
स्थानीय नागरिकों के बीच इस कार्रवाई को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ लोगों ने निगम के कदम का स्वागत किया है, जबकि कुछ का कहना है कि प्रशासन को पहले नियमित उपभोक्ताओं को पर्याप्त जल आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए। नाशिक के पंचवटी, सतरपुर और अंबड क्षेत्रों में सबसे अधिक अवैध कनेक्शन पाए गए हैं, जहां औद्योगिक इकाइयां और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बड़ी मात्रा में जल का उपयोग करते हैं।
नगर निगम ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में “डिजिटल वाटर मीटरिंग सिस्टम” लागू किया जाएगा, जिससे प्रत्येक घर और संस्था के जल उपभोग की वास्तविक समय पर निगरानी की जा सकेगी। यह कदम जल चोरी को रोकने और पारदर्शी बिलिंग सुनिश्चित करने में सहायक होगा।
प्रशासन के अनुसार, भविष्य में ऐसे सभी उपभोक्ताओं को ‘स्मार्ट वॉटर कार्ड’ जारी किए जाएंगे, जिससे ऑनलाइन भुगतान और मीटर रीडिंग दोनों की सुविधा उपलब्ध रहेगी।
महानगरपालिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “जल एक सीमित संसाधन है। अगर नागरिक नियमों का पालन नहीं करेंगे, तो आने वाले वर्षों में जल संकट गंभीर रूप ले सकता है। अवैध जल कनेक्शन न केवल अपराध हैं बल्कि यह समाज के प्रति गैर-जिम्मेदाराना रवैया भी दर्शाते हैं।”
नाशिक महानगरपालिका ने नागरिकों से अपील की है कि वे अपने कनेक्शन की जांच कर लें और यदि अवैध पाए जाते हैं तो जल्द से जल्द उन्हें वैध करवाने की प्रक्रिया पूरी करें। निगम का यह भी कहना है कि यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से अपने अवैध कनेक्शन की जानकारी देता है, तो उस पर आंशिक छूट दी जा सकती है।
जल प्रबंधन की इस मुहिम को लेकर नगर निगम ने अगले सप्ताह से जनजागरण अभियान शुरू करने की घोषणा की है। इसके तहत शहर के विभिन्न वार्डों में नागरिकों को जल संरक्षण, वैध कनेक्शन और जल बचत की जानकारी दी जाएगी।
नाशिक महानगरपालिका की यह पहल शहर के जल प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने के साथ-साथ पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। अगर यह अभियान सफल रहा, तो नाशिक जल्द ही महाराष्ट्र के उन शहरों में शामिल होगा, जहां जल वितरण पूरी तरह डिजिटल और नियमबद्ध प्रणाली पर आधारित होगा।