




भारत में स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में 2026 से एक नई क्रांति आने वाली है। तीसरी कक्षा के छात्रों को अब पढ़ाई में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के मूल सिद्धांत सिखाए जाएंगे। शिक्षा मंत्रालय की तैयारी तेज़ हो गई है और स्कूली शिक्षा सचिव संजय कुमार ने हाल ही में इस संबंध में विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि अटल इनोवेशन मिशन के तहत सभी सरकारी स्कूलों में अटल टिंकरिंग लैब्स में AI का बड़े पैमाने पर समावेश किया जाएगा।
संजय कुमार ने कहा कि AI को प्रारंभिक स्तर से छात्रों तक पहुंचाने का उद्देश्य बच्चों में सृजनात्मक सोच, नवाचार और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना है। यह योजना न केवल तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देगी, बल्कि बच्चों को समस्या समाधान, डेटा विश्लेषण और क्रिएटिव थिंकिंग जैसे कौशल विकसित करने में मदद करेगी।
अटल टिंकरिंग लैब्स की स्थापना सरकारी स्कूलों में पहले से चल रही है, लेकिन अब इन लैब्स में AI आधारित शिक्षण सामग्री और उपकरणों का समावेश किया जाएगा। छात्रों को छोटे-छोटे प्रोजेक्ट और प्रयोग करने का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान दोनों में सुधार होगा।
संजय कुमार ने बताया कि यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसमें STEM (Science, Technology, Engineering, Mathematics) शिक्षा को प्राथमिकता देने पर जोर दिया गया है। AI पढ़ाई के माध्यम से छात्रों को डिजिटल दुनिया में प्रतिस्पर्धात्मक कौशल विकसित करने का अवसर मिलेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि AI को प्रारंभिक स्तर से पढ़ाने से बच्चों की तकनीकी समझ और भविष्य की रोजगार संभावनाएं बेहतर होंगी। उन्होंने कहा कि आज के डिजिटल युग में AI और मशीन लर्निंग की समझ रखना आवश्यक है, और इसे शिक्षा प्रणाली में शामिल करना देश की तकनीकी क्षमता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा।
सरकार ने इस योजना के तहत शिक्षकों के लिए विशेष AI ट्रेनिंग प्रोग्राम भी शुरू किए हैं। शिक्षकों को AI के मूल सिद्धांत, प्रोजेक्ट आधारित शिक्षण और छात्रों को नवाचार में मार्गदर्शन देने की क्षमता विकसित करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि छात्र सही दिशा में और प्रभावी तरीके से AI शिक्षा प्राप्त कर सकें।
अटल टिंकरिंग लैब्स में छात्रों को रोबोटिक्स, सिमुलेशन, कोडिंग और डेटा एनालिटिक्स जैसी गतिविधियों का अनुभव भी मिलेगा। इस पहल से बच्चों की अन्वेषणात्मक और प्रयोगात्मक सोच मजबूत होगी। शिक्षा मंत्रालय का उद्देश्य है कि छात्रों को केवल किताबों तक सीमित न रखा जाए, बल्कि उन्हें व्यावहारिक और तकनीकी ज्ञान के साथ तैयार किया जाए।
संजय कुमार ने कहा कि योजना का लक्ष्य देशभर के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में समान रूप से AI शिक्षा उपलब्ध कराना है। इससे शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के छात्र आधुनिक तकनीकी शिक्षा में पीछे नहीं रहेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारें सहयोग कर रही हैं और आवश्यक संसाधन और तकनीकी उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की पहल से भारत के बच्चों को वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा। AI पढ़ाई से वे केवल कंप्यूटर और तकनीकी कौशल नहीं सीखेंगे, बल्कि समीक्षा, विश्लेषण और समस्या समाधान जैसे महत्वपूर्ण जीवन कौशल भी विकसित करेंगे।
अंततः, 2026 से लागू होने वाली यह योजना भारत की शिक्षा प्रणाली में ऐतिहासिक परिवर्तन साबित हो सकती है। यह कदम न केवल बच्चों के करियर के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि पूरे देश की तकनीकी और नवाचार क्षमता को भी बढ़ावा देगा। AI और अटल टिंकरिंग लैब्स के माध्यम से बच्चों को तैयार किया जाएगा कि वे भविष्य की चुनौतियों का सामना सृजनात्मक, वैज्ञानिक और डिजिटल तरीके से कर सकें।
इस पहल से यह स्पष्ट होता है कि भारत अब तकनीकी शिक्षा और नवाचार में विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार है। स्कूलों में AI पढ़ाई की शुरुआत से युवा पीढ़ी का तकनीकी दृष्टिकोण, नवाचार और डिजिटल साक्षरता मजबूत होगा और वे आने वाले समय में देश का गौरव बढ़ाने में सक्षम होंगे।