




महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से नई हलचल शुरू हो गई है। मनसे (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से उनके आधिकारिक निवास वर्षा बंगले पर मुलाकात की। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब हाल ही में हुए BEST कर्मचारी सहकारी क्रेडिट सोसाइटी चुनाव में उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) और मनसे (MNS) को करारी हार का सामना करना पड़ा।
इस अप्रत्याशित बैठक ने राजनीतिक गलियारों में अटकलों का दौर तेज कर दिया है। क्या यह मुलाकात महज नागरिक मुद्दों पर बातचीत थी या इसके पीछे कोई बड़ा राजनीतिक समीकरण छिपा है?
BEST चुनाव में करारी हार, बदलते संकेत
BEST कर्मचारी सहकारी क्रेडिट सोसाइटी चुनाव में शिवसेना (UBT) और मनसे गठबंधन को एक भी सीट न मिलना, राजनीतिक रूप से चौंकाने वाला रहा। यह पहली बार है जब ठाकरे परिवार की पकड़ मुम्बई के कर्मचारी वर्ग पर इतनी कमजोर साबित हुई।
चुनाव नतीजों ने सीधे तौर पर यह संदेश दिया कि जनता अब नए विकल्प तलाश रही है। इसी पृष्ठभूमि में राज ठाकरे का फडणवीस से मिलना राजनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है।
राज ठाकरे का बयान: “राजनीति नहीं, नागरिक मुद्दों पर बातचीत”
बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में राज ठाकरे ने स्पष्ट किया कि उनकी मुलाकात का मकसद राजनीतिक नहीं था। उन्होंने कहा कि मुंबई के ट्रैफिक और पार्किंग समस्या को हल करने के लिए उन्होंने एक व्यावहारिक योजना मुख्यमंत्री के सामने रखी।
राज ठाकरे ने सुझाव दिया कि मुंबई की फुटपाथ को रंग-बिरंगे हिस्सों में बाँटकर “पार्किंग जोन” और “नो-पार्किंग जोन” को स्पष्ट किया जा सकता है। इस दौरान मुंबई पुलिस आयुक्त भी चर्चा में मौजूद रहे।
हालाँकि, राजनीतिक पंडितों का मानना है कि राज ठाकरे का इतना अचानक सीएम से मिलना महज नागरिक मुद्दा नहीं हो सकता।
राजनीतिक हलकों में उठे सवाल
महाराष्ट्र की राजनीति में इस मुलाकात को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
-
क्या यह मुलाकात आने वाले निकाय चुनावों से पहले संभावित गठबंधन की नींव रख रही है?
-
क्या बीजेपी महाराष्ट्र में मनसे को साथ लाकर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है?
-
क्या उद्धव ठाकरे के साथ राज ठाकरे का गठबंधन महज़ चुनावी प्रयोग था जो अब टिकाऊ साबित नहीं हो रहा?
इन सवालों के बीच एक बात साफ है—यह बैठक आने वाले महीनों में राजनीति की दिशा तय करने में अहम साबित हो सकती है।
अजित पवार ने दिया शिष्टाचार वाला बयान
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इस मुलाकात पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इसमें किसी भी तरह का राजनीतिक रंग ढूंढना गलत है। उन्होंने कहा—“ऐसी मुलाकातें सामान्य शिष्टाचार के तहत होती हैं। इन्हें चुनावी गठजोड़ से जोड़कर देखना जल्दबाजी होगी।”
हालाँकि, विपक्ष और अन्य दलों ने इसे राजनीतिक गठबंधन की तैयारी करार दिया है।
बदलते समीकरण और भविष्य की राजनीति
विशेषज्ञों का मानना है कि:
-
बीजेपी और मनसे अगर हाथ मिलाते हैं, तो मुंबई और ठाणे जैसे शहरी इलाकों में इसका बड़ा असर होगा।
-
उद्धव ठाकरे के लिए यह स्थिति और मुश्किलें खड़ी कर सकती है, क्योंकि उनकी पकड़ पहले ही कमजोर होती दिख रही है।
-
एनसीपी और कांग्रेस के लिए भी यह नई चुनौती होगी, क्योंकि महाराष्ट्र का राजनीतिक गणित पूरी तरह बदल सकता है।
निष्कर्ष: मुलाकात से ज्यादा संदेश
हालाँकि राज ठाकरे इसे नागरिक मुद्दों पर बातचीत बताकर राजनीतिक महत्व को नकारते रहे, लेकिन यह साफ है कि फडणवीस और ठाकरे की बैठक का संदेश गहरा है।
राजनीति में ऐसी मुलाकातें हमेशा किसी नए समीकरण की ओर इशारा करती हैं। आने वाले निकाय चुनावों और 2029 लोकसभा- विधानसभा चुनावों के लिहाज़ से यह मुलाकात एक राजनीतिक टर्निंग पॉइंट साबित हो सकती है।