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    “I focus…”: हार्वर्ड प्रोफेसर और हैप्पीनेस साइंटिस्ट ने बताया अच्छा जीवन जीने का राज़

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    जीवन में खुशी की तलाश हर किसी की प्राथमिकता है।
    पैसा, पद और शोहरत मिलने के बाद भी अक्सर लोग यह सवाल पूछते हैं—”अच्छा जीवन आखिर कैसे जिया जाए?”।
    इसी प्रश्न का उत्तर दिया है हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक हैप्पीनेस साइंटिस्ट और प्रोफेसर ने।

    हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा:
    “I focus on the things that truly matter, and that’s the secret to living well.”

    खुशी पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण

    हार्वर्ड लंबे समय से हैप्पीनेस रिसर्च का केंद्र रहा है।

    • “हार्वर्ड स्टडी ऑफ एडल्ट डेवलपमेंट” दुनिया की सबसे लंबी चलने वाली स्टडी है, जो 80 से ज्यादा सालों से लोगों के जीवन पर शोध कर रही है।

    • इस अध्ययन ने बार-बार यह साबित किया है कि खुशी का मुख्य आधार रिश्ते, मानसिक शांति और उद्देश्यपूर्ण जीवन है, न कि केवल धन और भौतिक सफलता।

    प्रोफेसर का रहस्य—“I focus…”

    इस प्रोफेसर ने अपने अनुभव और शोध के आधार पर कहा कि—

    1. फोकस रिश्तों पर

      • अच्छे और सहयोगी रिश्ते जीवन को सबसे ज्यादा खुशहाल बनाते हैं।

      • परिवार, दोस्त और समुदाय से जुड़ाव मानसिक स्वास्थ्य को मज़बूत करता है।

    2. फोकस मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर

      • उन्होंने कहा कि संतुलित खानपान, व्यायाम और पर्याप्त नींद जीवन को सकारात्मक बनाते हैं।

      • मानसिक स्वास्थ्य के लिए ध्यान (Meditation) और कृतज्ञता (Gratitude) बेहद जरूरी है।

    3. फोकस उद्देश्य पर

      • केवल पैसे कमाना या करियर बनाना ही पर्याप्त नहीं।

      • जीवन में एक बड़ा मक़सद होना चाहिए, चाहे वह समाज की सेवा हो या किसी जुनून (Passion) का पीछा करना।

    4. फोकस वर्तमान क्षण पर

      • उन्होंने कहा कि खुशी का सबसे बड़ा राज़ है Present Moment में जीना।

      • अतीत पर पछतावा और भविष्य की चिंता छोड़कर वर्तमान को अपनाना असली सुख देता है।

    क्यों ज़रूरी है “फोकस”?

    आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अक्सर Multitasking और Distractions में फंसे रहते हैं।

    • सोशल मीडिया, काम का दबाव और प्रतिस्पर्धा के चलते लोग जीवन के छोटे-छोटे सुखों को भूल जाते हैं।

    • प्रोफेसर का कहना है कि जब इंसान ध्यान केंद्रित करना सीख लेता है, तो वह अपनी ऊर्जा सही दिशा में लगाता है और खुशी महसूस करता है।

    शोध क्या कहता है?

    हार्वर्ड की खुशी पर आधारित रिसर्च में यह भी पाया गया है कि—

    • रिश्तों की गुणवत्ता जीवन की लंबाई और संतुष्टि दोनों को प्रभावित करती है।

    • तनाव और अकेलापन सेहत और दिमाग पर बुरा असर डालते हैं।

    • समुदाय और दोस्ताना रिश्ते इंसान को कठिनाइयों से बाहर निकालने में मदद करते हैं।

    यही वजह है कि प्रोफेसर का कहना है—“Focus is not just about productivity, it’s about living meaningfully.”

    वैश्विक संदर्भ

    आज पूरी दुनिया में “Happiness Index” और “Work-Life Balance” को लेकर चर्चाएं हो रही हैं।

    • फ़िनलैंड, डेनमार्क और नॉर्वे जैसे देश खुशी के मामले में सबसे आगे हैं क्योंकि वहाँ समाजिक सुरक्षा, समुदाय और संतुलित जीवन को महत्व दिया जाता है।

    • भारत जैसे विकासशील देशों में अब भी सफलता को ज़्यादातर धन और करियर से जोड़ा जाता है।

    इसलिए हार्वर्ड प्रोफेसर का संदेश खास मायने रखता है।

    भारत के संदर्भ में सीख

    भारत की परंपरा में भी “संतोष” और “साधना” को खुशी का आधार माना गया है।

    • योग, ध्यान और भक्ति सदियों से भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहे हैं।

    • प्रोफेसर का “I focus…” वाला मंत्र कहीं न कहीं भारतीय जीवन दर्शन से भी मेल खाता है।

    हार्वर्ड प्रोफेसर और हैप्पीनेस साइंटिस्ट का रहस्य बेहद साधारण लेकिन गहरा है—
    “I focus on relationships, health, purpose, and the present.”

    यानी, असली खुशी उन्हीं को मिलती है जो अपने जीवन में सही चीज़ों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
    पैसा और शोहरत अस्थायी सुख दे सकते हैं, लेकिन रिश्ते, संतुलन और उद्देश्य ही स्थायी आनंद का आधार हैं।

    इसलिए, अगर आप अच्छा जीवन जीना चाहते हैं तो खुद से पूछिए—
    “Am I focusing on the right things?”

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