




भारत की अग्रणी सॉफ्टवेयर कंपनी जोहो कॉरपोरेशन (Zoho Corporation) के संस्थापक और सीईओ श्रीधर वेम्बु ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक रोचक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने अपने लोकप्रिय चैट ऐप ‘अरट्टई (Arattai)’ के नाम का अर्थ कई भारतीय भाषाओं में समझाया। इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर काफी ध्यान आकर्षित किया, क्योंकि कई लोग इस शब्द का हिंदी में अर्थ जानना चाहते थे।
श्रीधर वेम्बु ने अपने पोस्ट में बताया कि ‘अरट्टई’ एक तमिल शब्द है, जिसका सीधा मतलब होता है “बातचीत”, “गपशप” या “चैट”। उन्होंने यह भी बताया कि इसी विचार से प्रेरित होकर उन्होंने अपने चैटिंग ऐप का नाम ‘Arattai’ रखा था, जो स्थानीय भावना और भारतीय भाषाओं की आत्मा को दर्शाता है।
उन्होंने आगे लिखा कि भारत जैसी भाषाई विविधता वाले देश में एक ही शब्द के कई सुंदर अर्थ निकलते हैं। जैसे हिंदी में “अरट्टई” का मतलब “गपशप” या “बातचीत” के समान है, जबकि मराठी में इसे “गप्पा” कहा जाता है। बंगाली में इसका मतलब “আড্ডা” (Adda) होता है, जो हल्की-फुल्की चर्चा या संवाद को दर्शाता है। वहीं, कन्नड़ में इसे “ಮಾತುಕತೆ” (Maatukate) और तेलुगु में “మాటలు” (Maatalu) कहा जाता है।
वेम्बु ने कहा कि यह भाषाई विविधता भारत की सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने लिखा —
“जब हमने ‘अरट्टई’ ऐप बनाया, तब हमारा उद्देश्य केवल एक चैटिंग प्लेटफ़ॉर्म बनाना नहीं था, बल्कि ऐसा मंच तैयार करना था जो भारतीय भावनाओं और भाषाओं से जुड़ा हो। ‘अरट्टई’ नाम इसलिए चुना गया ताकि हर भारतीय को यह ऐप अपनी भाषा और संस्कृति का हिस्सा लगे।”
‘अरट्टई’ ऐप, जोहो कॉरपोरेशन का एक स्वदेशी मैसेजिंग प्लेटफॉर्म है, जिसे भारत में व्हाट्सएप के विकल्प के रूप में लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य भारतीय उपयोगकर्ताओं को एक सुरक्षित, निजी और स्थानीय चैटिंग अनुभव प्रदान करना है। यह ऐप एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन, फाइल शेयरिंग, ऑडियो और वीडियो कॉल जैसी आधुनिक सुविधाएं प्रदान करता है।
वेम्बु ने कहा कि तकनीक का उद्देश्य केवल नवाचार नहीं, बल्कि संस्कृति और भाषा को जीवंत बनाए रखना भी होना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय डेवलपर्स को अब स्थानीय भाषाओं और मूल्यों से जुड़े उत्पाद बनाने चाहिए, ताकि भारत वैश्विक तकनीकी परिदृश्य में अपनी अलग पहचान बना सके।
उनकी इस पोस्ट को लेकर सोशल मीडिया पर जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिली। कई उपयोगकर्ताओं ने लिखा कि उन्हें अब पता चला कि ‘अरट्टई’ शब्द का गहरा सांस्कृतिक अर्थ क्या है। वहीं, कुछ लोगों ने इसे “भारतीय भाषाओं की आत्मा से जुड़ा नाम” बताया।
कई भाषाविदों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने श्रीधर वेम्बु की इस पहल की सराहना की। उनका कहना है कि जब तकनीकी ब्रांड अपने उत्पादों को भारतीय भाषाओं से जोड़ते हैं, तो यह डिजिटल भारत के असली लक्ष्य को मजबूत करता है। इससे न केवल स्थानीय भाषाओं का प्रसार होता है, बल्कि तकनीकी विकास में सांस्कृतिक सहभागिता भी बढ़ती है।
गौरतलब है कि जोहो कॉरपोरेशन लंबे समय से भारत में स्वदेशी तकनीकी विकास को प्रोत्साहित कर रही है। श्रीधर वेम्बु स्वयं ग्रामीण भारत में रहकर काम करते हैं और उन्होंने कई बार कहा है कि भविष्य की तकनीक गांवों से निकलनी चाहिए, ताकि देश का हर नागरिक डिजिटल सशक्तिकरण में भागीदार बन सके।
‘अरट्टई’ ऐप का नामकरण इस सोच का उदाहरण है — एक ऐसा शब्द जो भारतीय जड़ों से जुड़ा है और आधुनिक तकनीक की भावना को भी दर्शाता है। श्रीधर वेम्बु का यह दृष्टिकोण यह बताता है कि भारत में तकनीक केवल विदेशी मॉडल पर आधारित नहीं होनी चाहिए, बल्कि स्थानीय संस्कृति, भाषा और भावनाओं के संगम से निर्मित होनी चाहिए।
उन्होंने अपने पोस्ट के अंत में लिखा —
“अरट्टई सिर्फ एक चैट ऐप नहीं, बल्कि संवाद की भारतीय परंपरा का प्रतीक है। जब हम बात करते हैं, गपशप करते हैं या विचार साझा करते हैं — वहीं असली नवाचार जन्म लेता है।”
भारत में बढ़ते डिजिटल उपयोग और भाषाई विविधता के बीच, श्रीधर वेम्बु का यह संदेश न केवल तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भाषाई गौरव और सांस्कृतिक पहचान की दृष्टि से भी प्रेरणादायक है।
जोहो की यह पहल दर्शाती है कि आने वाले समय में भारतीय भाषाओं में तकनीकी उत्पादों का विस्तार बढ़ेगा, जिससे देश का डिजिटल इकोसिस्टम और भी मजबूत होगा। ‘अरट्टई’ जैसे नाम और विचार यह बताते हैं कि जब तकनीक अपनी जड़ों से जुड़ती है, तभी वह वास्तव में लोगों के दिलों में जगह बनाती है।