




अगर आप अपनी कार या बाइक में ईंधन भरवाना चाहते हैं तो अब आपको पेट्रोल पंप पर प्रमाण पत्र दिखाना होगा।
अगर आप अपनी कार या बाइक में पेट्रोल भरवाने जाएं और आपसे दस्तावेज मांगे जाएं तो आश्चर्यचकित न हों। वाहनों से संबंधित नियमों का सख्ती से पालन किया जाएगा। अब वाहन चालकों को बिना कुछ दस्तावेजों के पेट्रोल नहीं मिल सकेगा। आइये देखें कि यह नियम वास्तव में क्या है…
वास्तव में कौन सा प्रमाणपत्र आवश्यक है?
देश में वाहनों की संख्या के साथ-साथ राज्य में वाहनों की बिक्री भी दिन-प्रतिदिन उल्लेखनीय रूप से बढ़ रही है। यह देखा गया है कि वाहनों की संख्या में वृद्धि के साथ वायु प्रदूषण की मात्रा भी बढ़ी है। इसीलिए वाहन चालकों के लिए प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) प्रमाणपत्र रखना अनिवार्य है। पीयूसी न होने पर पुलिस जुर्माना भी लगाती है। हालाँकि, इसके बावजूद भी कई ड्राइवर इस प्रमाणपत्र की अनदेखी करते हैं। इसीलिए अब महाराष्ट्र सरकार ने ‘नो पीयूसी सर्टिफिकेट, नो फ्यूल’ नीति लागू करने का अहम फैसला लिया है।
महाराष्ट्र सरकार द्वारा लाया जा रहा यह नया नियम वाहन चालकों की टेंशन बढ़ाने वाला है। नए नियमों के अनुसार, सड़क पर वाहन चलाते समय उसके पास वैध पीयूसी प्रमाणपत्र होना अनिवार्य कर दिया गया है। पेट्रोल या ईंधन भरवाने जाते समय वाहन चालकों के लिए पीयूसी की एक प्रति साथ रखना अनिवार्य होगा। बिना पीयूसी के वाहन चालक पेट्रोल पंप पर ईंधन नहीं ले पाएंगे।
यह ‘कोई पी.यू.सी. नहीं, तो कोई ईंधन नहीं’ नीति क्या है?
महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने हाल ही में कहा कि ‘नो पीयूसी, नो फ्यूल’ प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। नई नीति के अनुसार, प्रत्येक चालक को पेट्रोल पंप पर वाहन का वैध और सक्रिय पीयूसी प्रमाणपत्र दिखाना होगा। वाहन चालक पीयूसी प्रमाण पत्र दिखाने के बाद ही पेट्रोल या डीजल भरवा सकेंगे।
यह कदम क्यों आवश्यक है?
राज्य में वाहनों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। कहा जाता है कि पुणे जैसे शहरों में दोपहिया वाहनों की संख्या जनसंख्या से अधिक है। न केवल मुंबई, पुणे, नागपुर, नासिक बल्कि कई मध्यम आकार के शहरों में भी दोपहिया और चार पहिया वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। कई पुराने पेट्रोल और डीजल वाहन भारी मात्रा में धुआँ छोड़ते हैं और वायु को प्रदूषित करते हैं। यद्यपि पीयूसी अनिवार्य है, फिर भी बहुत से लोग पीयूसी प्रमाणपत्र को लेकर बहुत गंभीर नहीं हैं। जिनके पास पीयूसी नहीं है, उनके साथ-साथ बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं जो फर्जी पीयूसी के साथ वाहन चलाते हैं। यही कारण है कि कानून के अस्तित्व के बावजूद प्रदूषण नियंत्रण नीति केवल कागजों तक ही सीमित दिखती है तथा व्यवहार में उसका क्रियान्वयन नहीं हो पाता। यह नया नियम कानून का उल्लंघन करने वालों को सबक सिखाने के उद्देश्य से लागू किया जाएगा।
नई नीति के तहत वास्तव में क्या परिवर्तन होगा?
पेट्रोल पंप कर्मचारी प्रत्येक वाहन की पीयूसी जांच करने के बाद ही ईंधन देंगे। सरकार क्यूआर कोड के साथ डिजिटल पीयूसी प्रणाली बनाने जा रही है। इस प्रणाली के माध्यम से पेट्रोल पंप पर ईंधन भरने से पहले तत्काल स्कैनिंग और सत्यापन संभव हो सकेगा। यह डेटा एक एकीकृत ऑनलाइन प्रणाली से जोड़ा जाएगा। ऐसा करने से वाहनों के बारे में अद्यतन जानकारी हर जगह उपलब्ध हो सकेगी। इससे फर्जी पीयूसी की समस्या पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।
यह नीति कब तक लागू रहेगी?
नई नीति का उद्देश्य सिर्फ चालकों को दंडित करना ही नहीं है, बल्कि वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण के बारे में जनता में जागरूकता पैदा करना भी है। इस नये नियम को लागू करने से पहले जन जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। ड्राइवरों को अपने वाहनों का पीयूसी बनवाने के लिए एक विशिष्ट समय दिया जाएगा। पेट्रोल पंप मालिकों को भी इस नीति के बारे में जानकारी दी जाएगी तथा पेट्रोल पंप कर्मचारियों को तकनीकी प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। यह नीति जल्द ही अंतिम अनुमोदन के लिए प्रस्तुत की जाएगी और यदि सब कुछ योजना के अनुसार रहा तो अगले कुछ महीनों में यह नई नीति पूरे राज्य में लागू कर दी जाएगी।