




रिपोर्ट में खुलासा—टैरिफ नीति से ऑटो उद्योग को अरबों डॉलर का नुकसान, EV बिक्री में भी भारी गिरावट की आशंका।
वाशिंगटन डीसी, 20 जून 2025: अमेरिका में कार खरीदना जल्द ही और महंगा हो सकता है। डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति के तहत अमेरिकी बाजार में बिकने वाली हर नई कार पर करीब $2,000 (लगभग ₹1.7 लाख) की अतिरिक्त लागत आने वाली है। इससे जहां ग्राहक की जेब पर बोझ बढ़ेगा, वहीं ऑटो और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) उद्योग को बड़ा झटका लग सकता है।
एक नई रिपोर्ट में ऑटो सेक्टर की स्थिति को लेकर चेतावनी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, ऑटो कंपनियां इन टैरिफ्स से उत्पन्न लागत का 80% तक बोझ ग्राहकों पर डालेंगी, जिससे हर उपभोक्ता को औसतन $1,760 अधिक खर्च करना पड़ेगा।
टैरिफ की वजह और असर
यह टैरिफ नीति ट्रंप की “Make America Great Again” रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य विदेशी कारों और ऑटो पार्ट्स पर निर्भरता को घटाकर घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना है। हालांकि, इसका सीधा असर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की बिक्री और आम ग्राहकों की आर्थिक स्थिति पर पड़ेगा।
रिपोर्ट के मुताबिक:
2025-2028 के बीच 10 लाख कम कारों की बिक्री की आशंका
2030 तक बिक्री फिर से 1.7 करोड़ यूनिट तक पहुंचने का अनुमान
जनरल मोटर्स और फोर्ड को होगा अरबों डॉलर का घाटा
जनरल मोटर्स (GM) को $5 बिलियन और फोर्ड मोटर कंपनी को $2.5 बिलियन का नुकसान हो सकता है। दोनों कंपनियों ने ग्राहकों पर मूल्य वृद्धि का असर कम करने की कोशिश की है, लेकिन इसकी सीमा भी सीमित है।
इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए संकट
अगर ट्रंप प्रशासन के तहत $7,500 के EV टैक्स क्रेडिट को बंद किया गया, तो इससे EV सेगमेंट की ग्रोथ में भारी गिरावट आ सकती है।
पहले उम्मीद थी कि:
2030 तक EV की हिस्सेदारी 31% होगी
अब आशंका है कि यह घटकर 17% रह जाएगी।
ICE वाहनों की वापसी और EV टेक्नोलॉजी में पिछड़ता अमेरिका
Internal Combustion Engine (ICE) वाहनों की हिस्सेदारी 33% से बढ़कर 50% हो सकती है।
प्लग-इन हाइब्रिड की हिस्सेदारी 10% से घटकर सिर्फ 6% रह सकती है।
दूसरी ओर, चीन और अन्य देश EV तकनीक में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। अमेरिका की कंपनियों को EV प्लेटफॉर्म के लिए चीन से लाइसेंसिंग या जॉइंट वेंचर करना पड़ सकता है। इससे ग्लोबल प्रतिस्पर्धा में अमेरिका पीछे हो सकता है।
ट्रंप की टैरिफ नीति का लक्ष्य भले ही घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाना हो, लेकिन इसका सीधा नुकसान ग्राहकों की जेब, ऑटो इंडस्ट्री और EV भविष्य पर होता दिख रहा है। आने वाले दिनों में अमेरिका को प्रौद्योगिकी और पर्यावरणीय प्रतिस्पर्धा में वैश्विक स्तर पर संघर्ष करना पड़ सकता है।
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