




ADR की याचिका में कहा गया था कि चुनाव आयोग के मौजूदा स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) में ईवीएम की बेसिक जांच और मॉक पोल्स का ही निर्देश है.
ईवीएम के वेरिफिकेशन से जुड़ी याचिका का सुप्रीम कोर्ट ने निपटारा कर दिया है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की याचिका को सुनते हुए कोर्ट ने चुनाव आयोग से आयोग को ईवीएम की बर्न्ट मेमोरी की जांच के लिए स्पष्ट प्रोटोकॉल बनाने को कहा था. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने आयोग के जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए सुनवाई बंद कर दी है.
क्या है मामला?
26 मार्च 2024 को दिए इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि परिणाम आने के 1 सप्ताह के भीतर दूसरे या तीसरे नंबर का उम्मीदवार दोबारा जांच की मांग कर सकता है. ऐसे में इंजीनियरों की टीम किसी 5 माइक्रो कंटोलर की बर्न्ट मेमोरी की जांच करेगी. इस जांच का खर्च उम्मीदवार को उठाना होगा. अगर गड़बड़ी साबित हुई तो उम्मीदवार को पैसा वापस मिल जाएगा.
ADR की याचिका में कहा गया था कि चुनाव आयोग के मौजूदा स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) में ईवीएम की बेसिक जांच और मॉक पोल्स का ही निर्देश है. आयोग ने अब तक बर्न्ट मेमोरी की जांच को लेकर प्रोटोकॉल नहीं बनाया है.
कोर्ट में क्या हुआ?
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के लिए पेश वकील प्रशांत भूषण और चुनाव आयोग के लिए पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह की दलीलें सुनीं. मनिंदर सिंह ने कोर्ट को बताया कि आयोग ने बर्न्ट मेमोरी जांच की प्रक्रिया बना ली है. भूषण ने प्रक्रिया को और बेहतर बनाने की मांग की. आखिरकार कोर्ट ने आदेश पारित कर दिया.
किस तरह रहेगी प्रक्रिया?
नए SOP के तहत चुनाव परिणाम आने के 1 सप्ताह के भीतर दूसरे या तीसरे नम्बर पर रहे प्रत्याशी मेमोरी की जांच की मांग कर सकेंगे. इसके बाद भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) या इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) के इंजीनियर मशीन की जांच करेंगे. यह इंजीनियर सर्टिफिकेट देंगे कि मशीन का माइक्रो साफ्टवेयर और मेमोरी सही हैं या नहीं.
अगर प्रत्याशी इंजीनियरों के निष्कर्ष से संतुष्ट नहीं होगा तो मॉक पोल करवाया जा सकता है. मॉक पोल से पहले इंजीनियर प्रत्याशी को मशीन का डेटा दिखाएंगे. मॉक पोल के बाद फिर डेटा दिखाया जाएगा. सिंबल लोडिंग यूनिट से अपलोड किया गया डेटा नहीं बदला जाएगा, ताकि मॉक पोल में उसका इस्तेमाल हो सके.