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    अब अपनी मर्जी से शेयर बाजार से हट सकेंगी PSU कंपनियां, स्टार्टअप्स और विदेशी निवेशकों को भी बड़ी राहत।

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    सेबी बोर्ड मीटिंग में स्टार्टअप फाउंडर्स, विदेशी निवेशक और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के हित में लिए गए कई अहम फैसले।

    SEBI Rules Change: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने बुधवार को आयोजित अपनी बोर्ड बैठक में कई बड़े नीतिगत फैसले लिए हैं जिनका प्रभाव स्टार्टअप्स, सरकारी कंपनियों (PSU), विदेशी निवेशकों और IPO लाने वाली कंपनियों पर पड़ेगा। सेबी के नए फैसलों का उद्देश्य भारतीय पूंजी बाजार को और अधिक लचीला, पारदर्शी और निवेशकों के अनुकूल बनाना है।

    यह बैठक सेबी के नव नियुक्त अध्यक्ष तुहिन कांता पांडे की अध्यक्षता में हुई।

    PSU कंपनियों को मिलेगी डीलिस्टिंग की आज़ादी
    अब तक शेयर बाजार से डीलिस्टिंग का प्रॉसेस PSU कंपनियों के लिए काफी जटिल था, लेकिन सेबी ने नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए उन सरकारी कंपनियों को शेयर बाजार से हटने की अनुमति दे दी है, जिनमें सरकार की 90% या उससे अधिक हिस्सेदारी है।

    इस बदलाव के बाद, यदि शेयरधारकों की मंजूरी मिलती है तो सरकार इन कंपनियों को स्वेच्छा से बाजार से हटा सकती है, जिससे विनिवेश प्रक्रिया भी तेज होगी और सरकार को अधिक लचीलापन मिलेगा।

    स्टार्टअप फाउंडर्स को ESOP में बड़ी राहत
    स्टार्टअप्स को IPO लाने में सहूलियत देने के लिए सेबी ने बड़ा निर्णय लिया है। अब अगर कोई स्टार्टअप DRHP (Draft Red Herring Prospectus) फाइल करने से एक साल पहले ESOP जारी करता है, तो फाउंडर उस ESOP को अपने पास रख सकता है, भले ही वह प्रमोटर की श्रेणी में आता हो।

    इससे पहले नियमों के अनुसार, ESOP रखने की अनुमति प्रमोटर्स को नहीं दी जाती थी, जिससे स्टार्टअप संस्थापकों को नुकसान उठाना पड़ता था। अब इस ढांचे में ढील देकर सेबी ने स्टार्टअप्स को लॉन्ग टर्म ग्रोथ के लिए प्रोत्साहित किया है।

    विदेशी निवेशकों के लिए आसान होंगे नियम
    सेबी ने ऐसे विदेशी निवेशकों के लिए नियमों को आसान बनाया है जो सिर्फ भारतीय सरकारी बॉन्ड में निवेश करना चाहते हैं। इन बॉन्ड्स में जोखिम कम होता है, इसलिए सेबी ने रजिस्ट्रेशन और अनुपालन आवश्यकताओं को सरल बनाया है। इससे सरकारी ऋण प्रतिभूतियों में विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

    AIF निवेशकों के लिए सह-निवेश का फ्रेमवर्क बदला
    Alternative Investment Funds (AIF) के अंतर्गत Co-investment (सह-निवेश) के नियमों को भी सरल किया गया है। अब बड़े निवेशक उन कंपनियों में भी अतिरिक्त निवेश कर पाएंगे जहां पहले से ही AIF द्वारा निवेश किया गया है। इससे ज्यादा प्रत्यक्ष निवेश और बेहतर विकल्प प्राप्त होंगे।

    IPO लाने से पहले निदेशकों के शेयर होंगे डीमैट में
    IPO लाने वाली कंपनियों के लिए सेबी ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए यह अनिवार्य कर दिया है कि कंपनी के निदेशक, प्रमुख प्रबंध कर्मचारी और अन्य प्रमुख शेयरधारक अपने सभी शेयर डीमैट फॉर्मेट में रखें। इससे आईपीओ की प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और शेयर ट्रैकिंग आसान होगी।

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