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    लगातार तीसरे सप्ताह घटा भारत का विदेशी मुद्रा भंडार, लेकिन स्वर्ण भंडार में दिखी मजबूत बढ़त

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    भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार तीसरे सप्ताह गिरावट का सामना कर रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, 4 अक्टूबर 2025 को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 276 मिलियन डॉलर घटकर 642.50 अरब डॉलर पर आ गया। इससे पहले वाले सप्ताह में इसमें 2.33 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई थी। यह लगातार तीसरा सप्ताह है जब भारत के फॉरेक्स रिजर्व में कमी देखने को मिली है।

    हालांकि इस दौरान देश के स्वर्ण भंडार में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो यह संकेत देता है कि RBI ने अपनी कुल भंडार रणनीति में विविधता बनाए रखी है। विदेशी मुद्रा भंडार में आई यह गिरावट मुख्य रूप से डॉलर इंडेक्स की मजबूती और विदेशी बाजारों में डॉलर की बढ़ती मांग के कारण मानी जा रही है।

    फॉरेक्स रिजर्व घटने के पीछे के कारण

    विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट का प्रमुख कारण भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा बाजार में की गई दखलंदाजी माना जा रहा है। हाल ही में डॉलर के मुकाबले रुपये में उतार-चढ़ाव बढ़ गया है, जिसके चलते RBI को बाजार में हस्तक्षेप करना पड़ा ताकि रुपया अत्यधिक कमजोर न हो। विशेषज्ञों के अनुसार, विदेशी निवेशकों द्वारा मुनाफावसूली और अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी ने भी डॉलर की मांग को और बढ़ाया, जिससे भंडार पर दबाव पड़ा।

    इसके अलावा, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और विदेशी व्यापार के लिए डॉलर भुगतान में वृद्धि ने भी विदेशी मुद्रा भंडार पर असर डाला है। भारत जैसे आयात-निर्भर देश में तेल की बढ़ती कीमतें डॉलर की मांग बढ़ा देती हैं, जिससे फॉरेक्स रिजर्व पर सीधा असर पड़ता है।

    सोने के भंडार में मजबूत बढ़ोतरी

    जहां विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट दर्ज की गई है, वहीं भारत के स्वर्ण भंडार में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है। RBI के अनुसार, देश का स्वर्ण भंडार अब बढ़कर 56.9 अरब डॉलर पर पहुंच गया है, जो पिछले सप्ताह की तुलना में लगभग 1.2 अरब डॉलर अधिक है।
    यह वृद्धि इस बात का संकेत है कि भारत अपनी दीर्घकालिक भंडार रणनीति में सोने को एक स्थायी और सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में बनाए हुए है।

    सोने की कीमतों में वैश्विक स्तर पर आई मजबूती के चलते भी इसके मूल्य में वृद्धि हुई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में निवेशक अमेरिकी डॉलर की अस्थिरता से बचने के लिए सोने में निवेश बढ़ा रहे हैं, जिससे भारत के स्वर्ण भंडार का मूल्य स्वतः बढ़ रहा है।

    विदेशी मुद्रा भंडार के घटने का असर

    फॉरेक्स रिजर्व में आई इस गिरावट से भारतीय अर्थव्यवस्था पर तत्काल कोई बड़ा खतरा नहीं है, क्योंकि अभी भी भारत दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल है जिनके पास सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है। हालांकि, लगातार गिरावट यह संकेत देती है कि वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों और डॉलर की मजबूती से भारत भी अछूता नहीं है।

    आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह ट्रेंड लंबे समय तक जारी रहता है, तो इसका असर रुपये की स्थिरता पर पड़ सकता है। रुपये के कमजोर होने से आयातित वस्तुएं महंगी हो सकती हैं, जिससे महंगाई पर भी दबाव बढ़ेगा।

    RBI की रणनीति और भविष्य की स्थिति

    भारतीय रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग रुपये की स्थिरता बनाए रखने के लिए करता है। जब विदेशी निवेशक बड़े पैमाने पर पूंजी निकालते हैं या डॉलर की मांग बढ़ती है, तो RBI डॉलर बेचकर बाजार में संतुलन लाने की कोशिश करता है।
    भले ही रिजर्व में गिरावट आई हो, लेकिन RBI का यह कदम दीर्घकालिक स्थिरता के लिए आवश्यक माना जाता है।

    विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले सप्ताहों में विदेशी मुद्रा भंडार फिर से बढ़ सकता है, क्योंकि त्योहारी सीजन में भारत में विदेशी निवेश और प्रेषण (remittances) में वृद्धि होती है। इसके अलावा, निर्यात क्षेत्र में सुधार और स्थिर वैश्विक तेल कीमतें भी भंडार को सहारा दे सकती हैं।

    भारत का विदेशी मुद्रा भंडार – एक नज़र में

    RBI के अनुसार, कुल विदेशी मुद्रा भंडार में चार प्रमुख घटक शामिल हैं – विदेशी मुद्रा संपत्ति (Foreign Currency Assets), स्वर्ण भंडार (Gold Reserves), विशेष आहरण अधिकार (SDR) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भारत की पोजिशन।
    वर्तमान में विदेशी मुद्रा संपत्ति लगभग 567.9 अरब डॉलर, स्वर्ण भंडार 56.9 अरब डॉलर, SDR 18.2 अरब डॉलर और IMF पोजिशन 4.5 अरब डॉलर है।

    लगातार तीसरे सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट भारत के आर्थिक प्रबंधन के लिए एक चेतावनी संकेत है, हालांकि यह किसी संकट की स्थिति नहीं है। RBI की सतर्क नीतियां और स्वर्ण भंडार में वृद्धि यह दर्शाती हैं कि देश की वित्तीय स्थिरता फिलहाल सुरक्षित है।
    भविष्य में यदि वैश्विक बाजारों में स्थिरता लौटती है और डॉलर की मजबूती में कमी आती है, तो भारत का विदेशी मुद्रा भंडार एक बार फिर वृद्धि के रास्ते पर लौट सकता है।

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