




अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह पर एक और बड़ी कानूनी कार्रवाई हुई है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर के मुख्य वित्तीय अधिकारी अशोक कुमार पाल को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी फर्जी बैंक गारंटी और नकली बिल जारी करने से जुड़े गंभीर आरोपों के तहत की गई है।
ईडी की यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब अनिल अंबानी समूह पहले से ही कई वित्तीय अनियमितताओं और बैंक धोखाधड़ी के मामलों में जांच के घेरे में है। एजेंसी का कहना है कि शुरुआती जांच में यह पाया गया कि रिलायंस पावर से जुड़े कुछ अधिकारियों ने बैंकिंग प्रक्रिया में जालसाजी कर बड़ी रकम की हेराफेरी की।
ईडी की टीम ने शुक्रवार देर रात अशोक कुमार पाल को हिरासत में लिया और पूछताछ के बाद उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया। बताया जा रहा है कि यह मामला फर्जी बैंक गारंटी जारी करने और नकली इनवॉइस (Fake Invoicing) के जरिए करोड़ों रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा हुआ है।
सूत्रों के मुताबिक, रिलायंस पावर की एक परियोजना के लिए कथित रूप से तैयार की गई बैंक गारंटी असली नहीं थी। यह गारंटी सरकारी एजेंसी सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) को दी गई थी, जो सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए काम करती है। बाद में जांच में यह दस्तावेज फर्जी पाए गए।
ईडी का दावा है कि यह गारंटी एक नकली कंपनी के माध्यम से जारी की गई थी, जो सिर्फ कागजों पर मौजूद थी। जांच में यह भी सामने आया कि इस पूरी प्रक्रिया में रिलायंस पावर के वरिष्ठ वित्तीय अधिकारी अशोक पाल ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने बैंक और वेंडर कंपनियों के बीच समन्वय का जिम्मा संभाला और कथित रूप से दस्तावेजों पर गलत स्वीकृति दी।
ईडी पिछले कई महीनों से अनिल अंबानी समूह की कई कंपनियों की जांच कर रही है। एजेंसी को संदेह है कि समूह की कुछ इकाइयों ने बैंक ऋणों की राशि का दुरुपयोग किया है।
हाल में, एजेंसी ने दिल्ली और मुंबई में रिलायंस समूह से जुड़ी कई जगहों पर छापेमारी की थी, जहां से बड़ी मात्रा में डिजिटल रिकॉर्ड और वित्तीय दस्तावेज जब्त किए गए।
जांच एजेंसी का कहना है कि यह मामला सिर्फ एक कंपनी तक सीमित नहीं है। इसके तार समूह की अन्य इकाइयों तक भी जुड़े हो सकते हैं। ईडी ने इस गिरफ्तारी को मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत अंजाम दिया है।
अधिकारियों के मुताबिक, इस घोटाले की रकम कई करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि फर्जी गारंटी के माध्यम से सरकारी संस्थानों से अनुबंध हासिल किए गए और फिर इन परियोजनाओं के लिए दिए गए बिलों में भी गड़बड़ियां की गईं।
रिलायंस पावर की ओर से अब तक इस गिरफ्तारी पर कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया है। हालांकि कंपनी के सूत्रों का कहना है कि सभी व्यापारिक कार्यवाही कानूनी और पारदर्शी तरीके से की जाती हैं, और किसी भी तरह की जांच में कंपनी पूर्ण सहयोग दे रही है।
समूह के नजदीकी सूत्रों ने कहा कि “ED की जांच जारी है और जब तक अदालत में आरोप साबित नहीं होते, किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी।”
लेकिन उद्योग विश्लेषक मानते हैं कि इस गिरफ्तारी से अनिल अंबानी समूह की साख पर असर पड़ सकता है। पहले से वित्तीय संकट झेल रहे समूह को निवेशकों के भरोसे की पुनर्स्थापना में और कठिनाइयाँ आ सकती हैं।
अशोक कुमार पाल रिलायंस पावर के साथ कई वर्षों से जुड़े रहे हैं और कंपनी के वित्तीय प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। वे कंपनी की फंडिंग, बैंकिंग और परियोजना वित्त पोषण से जुड़ी गतिविधियों की देखरेख करते थे।
ईडी के आरोपों के मुताबिक, पाल ने कथित रूप से कुछ वित्तीय दस्तावेजों पर गलत मंजूरी दी और जानबूझकर फर्जी गारंटी को वैध बताया।
सूत्रों के अनुसार, जांच एजेंसी ने पाल से कई दिनों तक पूछताछ की थी। जब उनके जवाब संतोषजनक नहीं पाए गए, तो उन्हें गिरफ्तार कर शनिवार को अदालत में पेश किया गया, जहाँ से उन्हें ईडी की हिरासत में भेज दिया गया।
इस कार्रवाई से अनिल अंबानी समूह पर पहले से चल रही आर्थिक जांचों में एक और नया अध्याय जुड़ गया है। यह मामला निवेशकों और बैंकों के भरोसे पर भी असर डाल सकता है।
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस और पारदर्शिता को लेकर यह घटना एक बड़ी चेतावनी है।
रिलायंस पावर, जो कभी भारत की सबसे चर्चित ऊर्जा कंपनियों में से एक थी, पिछले कुछ वर्षों से वित्तीय चुनौतियों से जूझ रही है। कई परियोजनाएं ठप पड़ी हैं और बैंक ऋणों का पुनर्गठन चल रहा है। इस गिरफ्तारी से कंपनी की पुनर्संरचना प्रक्रिया पर भी असर पड़ सकता है।