




लोग अब रासायनिक दवाओं के दुष्प्रभावों से बचने के लिए आयुर्वेद की ओर रुख कर रहे हैं, जो प्राकृतिक और पारंपरिक पद्धति मानी जाती है.
भारत में अब लोग बड़े पैमाने पर आयुर्वेदिक उत्पादों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसका मतलब है कि प्राकृतिक उपचार पर लोगों का विश्वास बढ़ रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है उत्पाद से मिलने वाली सुरक्षा और उसकी प्रभावशीलता की गारंटी. पतंजलि ने बताया है कि कंपनी अपनी रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) लैब्स के माध्यम से आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान का अनूठा संगम प्रस्तुत करती है.
कंपनी का दावा है कि पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन (PRF) उत्पादों की सुरक्षा और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का उपयोग करता है. इन लैब्स में 300 से ज्यादा अनुभवी वैज्ञानिक हर्बल और प्राकृतिक उत्पादों पर गहन शोध करते हैं, ताकि आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर ‘एविडेंस बेस्ड मेडिसिन’ के रूप में स्थापित किया जा सके.
उच्च गुणवत्ता वाली जड़ी-बूटियों का होता है इस्तेमाल- पतंजलि
कंपनी ने बताया है, ”पतंजलि की R&D प्रक्रिया कच्चे माल के चयन से शुरू होती है, जहां उच्च गुणवत्ता वाली जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक सामग्रियों का चयन किया जाता है. इन सामग्रियों की शुद्धता और गुणवत्ता की जांच के लिए अत्याधुनिक माइक्रोबायोलॉजी लैब्स का उपयोग होता है. उत्पादों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एनिमल और ह्यूमन ट्रायल किए जाते हैं. पतंजलि की इन-विवो लैब्स को समिति फॉर कंट्रोल एंड सुपरविजन ऑफ एक्सपेरिमेंट्स ऑन एनिमल्स (CCSEA) से मान्यता प्राप्त है, जो नैतिक और वैज्ञानिक मानकों का पालन सुनिश्चित करती है.”
कंपनी का कहना है, ”लैब्स में NABL, DSIR और DBT जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से मान्यता प्राप्त उपकरणों का उपयोग होता है. ये उपकरण आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन को वैज्ञानिक रूप से विकसित और परखने में मदद करते हैं. प्रत्येक उत्पाद को कठोर परीक्षणों से गुजरना पड़ता है, जिसमें स्थिरता, विषाक्तता और प्रभावशीलता का मूल्यांकन शामिल है. उदाहरण के लिए, पतंजलि के च्यवनप्राश और हर्बल साबुन जैसे उत्पादों को उनकी गुणवत्ता और प्रभाव के लिए व्यापक रूप से सराहा गया है. कंपनी का लक्ष्य न केवल भारत बल्कि वैश्विक बाजारों में भी आयुर्वेद की विश्वसनीयता बढ़ाना है.”
आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार कर रही है कंपनी- पतंजलि
कंपनी का कहना है, ”पतंजलि की R&D लैब्स न केवल उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करती हैं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाती हैं. स्थानीय किसानों और जड़ी-बूटी उत्पादकों के साथ साझेदारी के माध्यम से, कंपनी आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार कर रही है. यह प्रयास आयुर्वेद को आधुनिक स्वास्थ्य सेवा का अभिन्न अंग बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.”