




मातृ भाषा में पढ़ाई, जॉब क्रिएशन पर फोकस और ड्रॉपआउट रोकने की पहल, शिक्षा मंत्री ने किया बड़ा खुलासा।
नई दिल्ली: भारत में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) लागू होने के बाद देश के एजुकेशन सिस्टम में कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हाल ही में एक शिक्षा सम्मेलन में NEP से जुड़े प्रमुख बिंदुओं पर विस्तार से बात की।
उन्होंने कहा कि मातृ भाषा में पढ़ाई से लेकर जॉब क्रिएशन तक, इस नीति का मकसद केवल डिग्री देना नहीं, बल्कि छात्रों को रोजगार के लायक बनाना और शिक्षा प्रणाली को मजबूत करना है।
एजुकेशन सेक्टर में अब तक क्यों रही कमी?
शिक्षा मंत्री ने कहा कि हमारे देश में तमाम क्षेत्रों पर चर्चा होती है लेकिन एजुकेशन सेक्टर पर उतना ध्यान नहीं दिया गया, जितना जरूरी था।
उन्होंने कहा, “भारत एक पुरानी सभ्यता है, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में लगातार चुनौतियां बनी रहीं। अब हम NEP लागू करने की दहलीज पर खड़े हैं और कई नए कदम उठाने जा रहे हैं।”
अर्ली चाइल्डहुड एजुकेशन पर फोकस
NEP के तहत पहली बार अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन (ECCE) को प्राथमिकता दी जा रही है।
अब 3 साल के बच्चों को एक संगठित सिस्टम के तहत शिक्षा से जोड़ा जाएगा। इससे पहले यह क्षेत्र काफी असंगठित था। “हम बच्चों के मानसिक विकास पर खास ध्यान दे रहे हैं, क्योंकि 6वीं कक्षा तक बच्चे की मेंटल ग्रोथ का बड़ा हिस्सा पूरा हो जाता है।” — धर्मेंद्र प्रधान
ड्रॉपआउट रोकना बड़ी चुनौती
धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि स्कूल एजुकेशन में अभी लगभग 40% छात्र ड्रॉपआउट हो रहे हैं।
उन्होंने कहा, “हर कोई IIT या डॉक्टर नहीं बन सकता। हमें यह सुनिश्चित करना है कि KG से 12वीं तक के सभी छात्रों को एक न्यूनतम स्तर की समझ मिले। इस दिशा में NEP अहम रोल निभाएगी।”
मातृ भाषा में पढ़ाई का नया नियम
शिक्षा मंत्री ने कहा कि कक्षा 1 से 5 तक बच्चों को अपनी मातृ भाषा में पढ़ाई करवाई जाएगी। इसके अलावा छात्र अपनी पसंद की दूसरी भाषा भी चुन सकते हैं।
“शुरुआती पढ़ाई मातृ भाषा में होने से बच्चों की नींव मजबूत होती है। इससे उनकी समझ और सोचने की क्षमता बेहतर होगी।”
शिक्षा का लक्ष्य — डिग्री नहीं, रोजगार सृजन
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “NEP कहती है कि हमारी शिक्षा सिर्फ डिग्री देने तक सीमित नहीं होनी चाहिए। हमारा मकसद है कि हम जॉब सीकर से जॉब क्रिएटर बनें।”
बोर्ड एग्जाम दो बार क्यों?
धर्मेंद्र प्रधान ने स्पष्ट किया कि दो बार बोर्ड एग्जाम कराने का उद्देश्य छात्रों पर से दबाव कम करना है।
उन्होंने कहा, “यह सुविधा इसलिए दी गई है ताकि जिन छात्रों का एक बार में पेपर अच्छा नहीं होता, उन्हें दोबारा मौका मिल सके। इस कदम से छात्रों का तनाव कम होगा और वे बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे।”
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