




स्मार्ट एजुकेशन कॉन्क्लेव में शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने नई EWS नीति और दिल्ली सरकार की शिक्षा व्यवस्था पर रखी अपनी बात।
नई दिल्ली: दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने सोमवार (9 जून) को आयोजित स्मार्ट एजुकेशन कॉन्क्लेव के मंच से दिल्ली के शिक्षा तंत्र को लेकर कई अहम बातें कहीं। इस दौरान उन्होंने दिल्ली में लागू होने जा रही नई EWS (Economically Weaker Section) प्रणाली के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही, उन्होंने आम आदमी पार्टी की पिछली सरकार पर भी निशाना साधा।
आम आदमी पार्टी की शिक्षा नीति पर सवाल
शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि बीते 10 वर्षों में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में सरकार चलाई लेकिन इस दौरान सरकारी स्कूलों की संख्या घटती चली गई और निजी स्कूलों की संख्या में इजाफा हुआ। उन्होंने कहा, “जबकि केजरीवाल सरकार अपनी शिक्षा नीति को दुनिया की सबसे बेहतरीन नीति बताती थी। लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग है।”
नया ईडब्ल्यूएस सिस्टम कितना पारदर्शी होगा?
नई ईडब्ल्यूएस पॉलिसी को लेकर शिक्षा मंत्री ने कहा, “हम EWS प्रणाली में पारदर्शिता को सबसे ऊपर रख रहे हैं। हमने यह सुनिश्चित करने के लिए हर एहतियात बरती है कि सही पात्र उम्मीदवार को ही इसका लाभ मिले।” उन्होंने कहा कि इस नई व्यवस्था के तहत चयन प्रक्रिया को डिजिटल और ट्रैक करने योग्य बनाया जाएगा ताकि किसी तरह की अनियमितता की कोई गुंजाइश न रहे।
बिजली बिलों को लेकर भी दिया बयान
इसी कार्यक्रम में जब उनसे दिल्ली में बिजली दरों को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इस पर डीआरसी (Delhi Regulatory Commission) फैसला करेगी कि बिजली के टैरिफ बढ़ेंगे या नहीं।
कार्यक्रम में कौन-कौन रहे शामिल?
स्मार्ट एजुकेशन कॉन्क्लेव में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, शिक्षा राज्य मंत्री सुकांता मजूमदार, Innov8 के डॉ. रितेश मलिक, एडम्स यूनिवर्सिटी के डॉ. समित राय, नेक्स्ट एजुकेशन के व्यास देव रल्हान, अड्डा247 के अनिल नागर सहित कई नामी एजुकेशन एक्सपर्ट्स शामिल हुए। कार्यक्रम में देश की शिक्षा नीति, शिक्षा प्रणाली में तकनीक के इस्तेमाल और बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने पर चर्चा हुई।
क्यों अहम है यह नया ईडब्ल्यूएस सिस्टम?
दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में समान अवसर देने की दिशा में यह नया ईडब्ल्यूएस सिस्टम अहम भूमिका निभा सकता है। पारदर्शी और डिजिटली सक्षम प्रक्रिया के ज़रिए गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को अच्छी शिक्षा तक पहुंच बनाने में मदद मिलेगी। अब देखना यह होगा कि यह नीति कितनी सफलता के साथ लागू हो पाती है।
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