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    ईरान-इज़रायल युद्ध के बीच लहूलुहान हुआ शेयर बाजार, निवेशकों के डूबे 2.4 लाख करोड़ रुपये।

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    शेयर बाजार में भारी गिरावट, सेंसेक्स और निफ्टी बुरी तरह टूटे।

    भारतीय शेयर बाजार ने शुक्रवार को भू-राजनीतिक तनावों के बीच जबरदस्त गिरावट दर्ज की। सेंसेक्स 573 अंक गिरकर 81,118.60 पर और निफ्टी 170 अंक टूटकर 24,718.60 पर बंद हुआ। शुरुआती कारोबार में बाजार में करीब 1.7% तक की गिरावट देखी गई थी, हालांकि दिन के अंत तक हल्की रिकवरी हुई।

    बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स भी मामूली गिरावट के साथ बंद हुए। एक दिन में बाजार की कुल वैल्यूएशन 2.4 लाख करोड़ रुपये घटकर 447.2 लाख करोड़ रुपये रह गई, जिससे निवेशकों को बड़ा झटका लगा।

    जानिए शेयर बाजार में गिरावट की 5 प्रमुख वजहें:
    १. ईरान-इज़रायल टकराव
    शेयर बाजार की गिरावट की सबसे बड़ी वजह इज़रायल द्वारा ईरान पर किया गया हमला रही। इज़रायली वायुसेना ने ईरान की न्यूक्लियर साइट्स, मिसाइल फैक्ट्रियों और सैन्य ठिकानों पर हमला किया। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इसे “ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम के दिल पर वार” बताया। इस संघर्ष से ग्लोबल निवेशकों में डर बढ़ा, जिससे भारतीय बाजार भी प्रभावित हुआ।

    २. कच्चे तेल की कीमतों में उछाल
    हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतों में 10% से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई। भारत जैसा तेल आयातक देश इससे बुरी तरह प्रभावित होता है — जिससे महंगाई और वित्तीय घाटा बढ़ने की आशंका रहती है।

    ३. सुरक्षित निवेशों की ओर रुझान
    भू-राजनीतिक अनिश्चितता के चलते निवेशकों ने शेयर बाजार से पैसा निकालकर सोना, अमेरिकी डॉलर और बॉन्ड्स में लगाया। भारत में सोना 2% महंगा हो गया, और विदेशी निवेशक शेयर बाजार से दूर हो गए।

    ४. रुपया टूटा, निवेश घटा
    भारतीय रुपया 86.25 प्रति डॉलर पर खुला, जो एक दिन में 73 पैसे की गिरावट है। कमजोर रुपया विदेशी निवेशकों के लिए भारत की अपील कम करता है और आयात महंगा कर देता है।

    ५. अमेरिका-चीन व्यापार डील पर संदेह
    हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिका-चीन ट्रेड डील की घोषणा की, लेकिन बाजार को इससे अधिक की उम्मीद थी। डील की शर्तें स्पष्ट नहीं हैं और इसने भी बाजार की सेंटीमेंट को प्रभावित किया।

    निवेशकों के लिए आगे की रणनीति क्या हो?
    विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक ईरान-इज़रायल टकराव की स्थिति साफ नहीं होती, तब तक बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। निवेशकों को सलाह दी गई है कि वे घबराने की बजाय लॉन्ग-टर्म रणनीति पर ध्यान दें और सावधानीपूर्वक निवेश करें।

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