




चीन के औद्योगिक उत्पादन में गिरावट, खुदरा बिक्री में मामूली सुधार; ट्रंप टैरिफ और प्रॉपर्टी सेक्टर की सुस्ती ने बढ़ाई चिंता।
बीजिंग/वॉशिंगटन: दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन के लिए यह साल अब तक आर्थिक चुनौतियों से भरा रहा है। अमेरिका के साथ ट्रेड सुलह के बावजूद, ट्रंप टैरिफ का असर अब भी चीन की औद्योगिक गतिविधियों पर साफ दिखाई दे रहा है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, चीन का फैक्ट्री आउटपुट बीते छह महीनों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है।
फैक्ट्री उत्पादन में गिरावट, 5.8% पर पहुंचा
चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, मई 2025 में औद्योगिक उत्पादन केवल 5.8% रहा, जो अप्रैल में 6.1% था। यह गिरावट नवंबर 2023 के बाद की सबसे धीमी रफ्तार है। इसका सीधा प्रभाव चीन की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री और वैश्विक सप्लाई चेन पर देखने को मिल सकता है।
खुदरा बिक्री में थोड़ी राहत, उपभोग बढ़ा
हालांकि, इसी दौरान खुदरा बिक्री में कुछ तेजी देखने को मिली है। मई में खुदरा बिक्री 6.4% दर्ज की गई, जो अप्रैल में 5.1% थी। यह दिसंबर 2023 के बाद सबसे ऊंचा स्तर है। उपभोक्ता मांग में यह सुधार चीन की आर्थिक रणनीतियों के कुछ सकारात्मक असर को दर्शाता है, लेकिन इससे औद्योगिक सुस्ती की भरपाई संभव नहीं लग रही।
प्रॉपर्टी सेक्टर में गिरावट बनी हुई
चीन का रियल एस्टेट सेक्टर अभी भी संकट में है। घरों के दाम में लगातार गिरावट आ रही है और बड़े-बड़े डेवलपर्स आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। नए प्रोजेक्ट्स की रफ्तार धीमी है और निवेशक असमंजस में हैं।
ट्रंप टैरिफ और भारत की भूमिका
2 अप्रैल 2025 को अमेरिका द्वारा घोषित टैरिफ में चीन को अपवाद नहीं दिया गया। भारत, वियतनाम और अन्य देशों को जहां राहत मिली, वहीं चीन पर अतिरिक्त शुल्क लगाया गया। इसके कारण एपल, टेस्ला, फॉक्सकॉन जैसी बड़ी कंपनियों ने अपने मैन्युफैक्चरिंग बेस को चीन से भारत और दक्षिण एशिया की ओर शिफ्ट करना शुरू कर दिया।
अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता का असर सीमित
हालांकि, अमेरिका और चीन के बीच बाद में व्यापारिक तनाव को कम करने के लिए वार्ता हुई, लेकिन आर्थिक रिपोर्ट्स यह दिखा रही हैं कि इन समझौतों का सीमित असर ही दिखाई दे रहा है।
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