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    भारत-यूएई व्यापार साझेदारी को नई गति देगा पीयूष गोयल का दो दिवसीय दौरा

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    भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंध लगातार मज़बूत हो रहे हैं। इसी कड़ी को और प्रगाढ़ करने के उद्देश्य से भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल दो दिन के दौरे पर यूएई रवाना हुए हैं। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय निवेश कार्यदल (High-Level Task Force on Investments) की बैठक होगी। इसके अलावा द्विपक्षीय व्यापार, निवेश और नई संभावनाओं पर भी गहन चर्चा की जाएगी।

    दौरे का मुख्य उद्देश्य

    इस यात्रा का मकसद भारत और यूएई के बीच आर्थिक सहयोग को नए आयाम देना है। बैठक में विशेष रूप से निम्नलिखित मुद्दों पर चर्चा की जाएगी:

    1. निवेश को बढ़ावा — ऊर्जा, इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग में निवेश।

    2. व्यापार संतुलन — भारत और यूएई के बीच आयात-निर्यात की बाधाओं को दूर करना।

    3. नई साझेदारी — स्टार्टअप्स, डिजिटल अर्थव्यवस्था और फिनटेक क्षेत्र में सहयोग।

    4. सस्टेनेबल डेवलपमेंट — हरित ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपाय।

    भारत-यूएई संबंधों की पृष्ठभूमि

    भारत और यूएई के संबंध केवल व्यापार तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सांस्कृतिक और रणनीतिक स्तर पर भी गहरे हैं।

    • यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।

    • दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2024-25 में 85 अरब डॉलर से अधिक का रहा।

    • भारत-यूएई व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA) 2022 में लागू हुआ, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार को गति मिली।

    CEPA का असर

    2022 में लागू हुए CEPA (Comprehensive Economic Partnership Agreement) ने भारत-यूएई संबंधों को नई दिशा दी है। इसके तहत 80% से अधिक उत्पादों पर टैरिफ (शुल्क) कम किया गया। भारतीय रत्न एवं आभूषण उद्योग को बड़ा लाभ मिला। खाद्य प्रसंस्करण और कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ा।

    पीयूष गोयल की भूमिका

    वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल लगातार भारतीय निर्यातकों और वैश्विक साझेदारों के बीच सेतु का काम करते रहे हैं। उनके नेतृत्व में भारत ने कई देशों के साथ नए व्यापार समझौते किए हैं। यूएई के साथ उनकी यह यात्रा भारत के लिए खास मानी जा रही है क्योंकि यह यात्रा निवेश और व्यापार दोनों को गति देने वाली है। इससे छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) को भी लाभ मिलेगा। भारत के डिजिटल सेक्टर और स्टार्टअप्स को यूएई से पूंजी और बाजार मिल सकता है।

    यूएई की दिलचस्पी

    यूएई भी भारत के साथ अपने संबंधों को और गहरा करना चाहता है।

    • भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है, जो यूएई के लिए बड़ा बाजार है।

    • भारतीय आईटी और फिनटेक कंपनियाँ यूएई के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन में अहम भूमिका निभा सकती हैं।

    • यूएई में 35 लाख से अधिक भारतीय प्रवासी रहते हैं, जो दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सेतु हैं।

    निवेश के नए अवसर

    बैठक में जिन क्षेत्रों पर विशेष ज़ोर दिया जाएगा, उनमें शामिल हैं:

    • नवीकरणीय ऊर्जा (सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाएँ)

    • इंफ्रास्ट्रक्चर विकास (स्मार्ट सिटीज़, पोर्ट्स और हाईवे)

    • टेक्नोलॉजी (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सिक्योरिटी)

    • खाद्य सुरक्षा और कृषि (सप्लाई चेन और खाद्य प्रसंस्करण)

    विशेषज्ञों की राय

    अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह दौरा भारत-यूएई संबंधों को अगले स्तर पर ले जाएगा। CEPA से मिलने वाले लाभ को और मजबूत करने की ज़रूरत है। भारतीय निर्यातक भी इस यात्रा को सकारात्मक रूप में देख रहे हैं क्योंकि इससे उन्हें खाड़ी देशों के बड़े बाजार तक बेहतर पहुँच मिलेगी।

    विपक्ष और आलोचना

    हालांकि कुछ आलोचकों का कहना है कि भारत को केवल व्यापार आंकड़ों पर नहीं, बल्कि व्यापार संतुलन पर भी ध्यान देना चाहिए। यूएई से आयात अधिक और निर्यात कम होने की स्थिति सुधारनी होगी। इसके अलावा भारतीय श्रमिकों की स्थिति पर भी चर्चा आवश्यक है।

    पीयूष गोयल का यह दौरा भारत और यूएई के आर्थिक रिश्तों को नई मजबूती देगा। इससे न केवल बड़े उद्योग बल्कि छोटे और मध्यम उद्यमों को भी लाभ मिलेगा। अगर दोनों देश निवेश और व्यापार में नई साझेदारी करते हैं, तो आने वाले वर्षों में भारत-यूएई संबंध वैश्विक स्तर पर एक मजबूत आर्थिक मॉडल बन सकते हैं।

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